Tuesday, May 24, 2011

तुम चलते हो उस धरती पर जिसे तुम भूल रहे हो


लिथुआनियाई मूल के चेस्वाव मीवोश (जून ३० १९११-अगस्त १४ २००४) पोलिश भाषा के जाने-माने कवि और अनुवादक थे. १९८० में मीवोश साहित्य के नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित हुए.

चेस्वाव मीवोश की दो कविताएं. अभी आगे भी आप उनकी कई कविताएं पढ़ेंगे -


इतना थोड़ा

इतना थोड़ा कहा मैंने.
छोटे थे दिन.

छोटे दिन.
छोटी रातें.
छोटे साल.

मैंने इतना थोड़ा कहा.
मैं कर ही नहीं सका.

मेरा दिल थक गया
ख़ुशी से
दुःख से
ललक से
उम्मीद से.

समुद्री दानव के जबड़े
मुझ पर कस रहे थे.

विवस्त्र पड़ा हुआ हुआ था मैं
रेगिस्तानी द्वीपों में.

संसार की सफ़ेद व्हेल ने
घसीट कर फेंका मुझे अपने गड्ढे में.

और अब मैं नहीं जानता
उस सब में यथार्थ क्या था.

भूल जाओ

भूल जाओ यातना
जो तुमने औरों को दी.
भूल जाओ यातना
जो तुम्हें मिली औरों से.
पानी भागता ही जाता है
चमकते हैं झरने और सूख जाते हैं
तुम चलते हो उस धरती पर जिसे तुम भूल रहे हो.

कभी-कभी तुम्हें सुनाई देती है किसी गीत की सुदूर टेक
इसका क्या मतलब है, तुम पूछते हो, कौन गा रहा ह?
बच्चों सरीखा गरमाता है सूरज
एक पोते और एक परपोते का जन्म होता है.
एक बार फिर तुम्हारा हाथ थाम कर तुम्हें रास्ता दिखाया जाता है.

नदियों के नाम रह जाते हैं तुम्हारे साथ,
कितनी अनन्त लगती हैं वे नदियां!
बंजर पड़े हैं तुम्हारे खेत,
शहर की मीनारें वैसी नहीं हैं जैसी हुआ करती थीं.
तुम खड़े रहते हो देहरी पर मौन.

2 comments:

वीना श्रीवास्तव said...

सुंदर भाव...

प्रवीण पाण्डेय said...

यदि भूल जाना इतना ही सरल होता....