Thursday, July 28, 2011

मैंने दुनिया के बच्चों को सिखाया

निज़ार क़ब्बानी की ही एक और नन्ही कविता


मैंने दुनिया के बच्चों को सिखाया

मैंने दुनिया के बच्चों को सिखाया
तुम्हारा नाम लिखना
और उनके होंठ शहतूत में बदल गए
मैंने हवा से कहा तुम्हारे
काले केश काढ़ने को
और उसने माफ़ी मांग ली, उसने कहा कि समय बहुत कम था
और तुम्हारे केश इतने लम्बे

1 comment:

जीवन और जगत said...

समय बहुत कम था और तुम्‍हारे केश बहुत लम्‍बे। बढि़या पंक्ति। सुन्‍दर कविता।