Monday, July 4, 2011

"चिड़ियां दा चम्बा" तुफ़ैल नियाज़ी की आवाज़ में


वायदे के मुताबिक मैं आपको "चिड़ियां दा चम्बा" सुनवा रहा हूं जनाब तुफ़ैल नियाज़ी की आवाज़ में. अपनी दर्दभरी आवाज़ से एक ज़माने तक तुफ़ैल साहब ने मुझे अपने जादू से बांधे रखा था. मेरे अज़ीज़ दोस्त अभिनेता रघुबीर यादव उनकी गाई हीर का एक कैसेट मेरे वास्ते पाकिस्तान से लाए थे. उस रचना में उनके गाने की शैली अद्वितीय रूप से विज़ुअल्स रच पाने में कामयाब थी. यह अलग बात है कि उन्हें पाकिस्तान के बाहर बहुत कम प्रसिद्धि हासिल हुई लेकिन उनका नाम "हीर" गायन से अपरिहार्य रूप से जुड़ चुका है. कपूरथला घराने के शागिर्द लोकसंगीत के इस ख़लीफ़ा गायक के बेटे बाबर नियाज़ी और जावेद नियाज़ी अपने पिता के काम को संरक्षित रखने के काम में जुटे हुए हैं. कहना न होगा ये दोनों सुपुत्र स्वयं भी ऊंचे दर्ज़े के कलाकार हैं.

पाकिस्तान टीवी पर प्रसारित हुए पहले गीत को गाने का श्रेय भी तुफ़ैल नियाज़ी को जाता है. फ़िलहाल डूबिए उनके गाए इस गीत में

1 comment:

सागर said...

Bahut Shukriya !

to vaayde ke mutabik yahan bhi sir

sksaagartheocean@gmail.com