पिछली पोस्ट लगाने के बाद से मेरे पास कुछेक मित्रों के शिकायती फ़ोन आ चुके हैं कि आधे आधे घन्टे के दो पीस सुनने की उनके पास फ़िलहाल फ़ुरसत नहीं है और मुझे ऐसा ही कुछ छोटा कर के लगाना चाहिए. तुफ़ैल नियाज़ी से ही सुनिए हीर का एक हिस्सा जिसमें रांझे की मोहब्बत में डूबी हीर ज़बरन सैदा खेड़ा के साथ न ब्याहे जाने का असहाय अनुरोध अनुरोध करती है. यह पीस केवल छः मिनट का साब! यारों को अब कोई दिक्कत नहीं होगी शायद.
(फ़ोटोग्राफ़:हीर के गृहनगर झंग में हीर-रांझा की साझा मज़ार)
1 comment:
भाई साब,इस्को छोटा करके लगाना तो सज़ा है,अन्याय है,बर्बर्ता है/
दुहाई है......
Post a Comment