हद-हद करते सब गए
बेहद गयो न कोए
अनहद के मैदान में
रहा कबीरा सोए..
भला हुआ मेरी गगरी फूटी...
फेसबुक पर कभी कभी नायाब चीज़ें मिल जाती है... तो हाजरीन पेशे-खिदमत है पाकिस्तानी कव्वालों की आवाज़ में कबीर गायन की एक झलक. अब इस पर लाख चीज़ें लिखी जा सकती हैं, हमारी साझी विरासत और सूफी परम्परा आदि आदि पर , लेकिन अब तो जो सुनना है वह कबीर और कराची के कव्वालों फरीद अयाज़ और अबू मुहम्मद एंड कंपनी से सुनिए.
यह 'कबीर प्रोजेक्ट' की बन रही फिल्म 'हद अनहद' का एक हिस्सा है, मुझे ऐसा लगा कि इसमें प्रहलाद सिंह टिपानिया जी की भी एक झलक दिखी. हमने वीडियो यूट्यूब से उठाया है, और ज्यादा जानकारी यहाँ जनाब अपलोडर से लीजिये..
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5 comments:
अहा..
bahut-bahut khoobsoorat.
anand aa gaya.
कबीर को जितना सुनो कम है .... और यह बन्दा तो गायन की हदं तोड़ रहा है . कमाल कर रहा है. पाकिस्तान मे कबीर इतने लोकप्रिय हैं, जान कर अजीब सी खुशी हुई. अभी मानव सभ्यता के उत्थान की पूरी सम्भावनाएं बनी हुई, बची हुई हैं . नम आँखों के साथ इस गायक को बधाई !!
ऐसे मोती अशोक भाई तुम ही बीन सकते हो! बहुत-बहुत शुक्रिया..!!
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