Friday, February 3, 2012

मृतकों के साथ एक षड्यंत्र - शिम्बोर्स्का


मृतकों के साथ एक षड्यंत्र

- विस्वावा शिम्बोर्स्का

किन परिस्थितियों में देखते हैं आप मृतकों के स्वप्न?
क्या सोने से पहले आप अक्सर उन के बारे में सोचते हैं?
सब से पहले क्या दीखता है?
क्या एक सा ही नज़र आता है हमेशा?
नाम? जाति? कब्रिस्तान? मृत्यु की तारीख?

वे किस बारे में बातें करते हैं?
पुरानी मित्रता? रिश्तेदारी? अपना मुल्क?
क्या वे बताते हैं कि वे कहाँ से आ रहे हैं?
और कौन होता है उन के पीछे?
और तुम्हारी बगल में कौन खड़ा होकर उन्हें सपने में देख रहा होता है?

उनके चेहरे, क्या वे उनके फोटोग्राफों जैसे होते हैं?
क्या वे समय के साथ ज़रा भी बुढाए हैं?
क्या वे तंदुरुस्त होते हैं? क्या उदास?
वे जिनकी हत्या हुई, क्या भर चुके उन के घाव?
क्या तुम्हें अब भी याद है उन की हत्या किस ने की थी?

वे क्या थामे होते हैं अपने हाथों में?
ज़रा खुल कर बताओ उन चीज़ों की बाबत.
क्या वे जले हुए हैं? फफूंद लगे? जंग लगे? सड़ते हुए?
और उनकी आँखों में क्या? कोई निवेदन? कोई चेतावनी?
साफ़-साफ़ बताओ
क्या तुम बस मौसमों के बारे में बातें करते रहते हो?
या फूलों के? पक्षियों के? तितलियों के?

वे कोई अटपटे सवाल तो नहीं पूछते?
अगर हाँ तो क्या होते हैं तुम्हारे जवाब?
चुपचाप सुरक्षित रहने के वास्ते?
या क्या तुम चतुराई से बदल देते हो सपने का विषय?
जागने पर या बिलकुल सही मौके पर?

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