- महमूद दरवेश
तहसनहस किये जा चुके एक गांव में एक जड़ शाम
आंखें अधसोईं
मैं याद करता हूं तीस साल
और पांच युद्ध
मैं क़सम खाता हूं भविष्य धरे हुए है
मक्के के मेरे दाने
और गायक गाता जाता है
एक आग और कुछ अजनबियों की बाबत
और शाम बस एक और शाम है
और गायक गाता जाता है
और उन्होंने उस से पूछा:
तुम क्यों गाते हो?
उसने जवाब दिया:
मैं गाता हूं क्योंकि मैं गाता हूं...
और उन्होंने उसके सीने की तलाशी ली
लेकिन उन्हें सिर्फ़ उसका दिल मिल सका
और उन्होंने उसके दिल की तलाशी ली
लेकिन उन्हें सिर्फ़ उसके जन मिल सके
और उन्होंने उसकी आवाज़ की तलाशी ली
लेकिन उन्हें सिर्फ़ उसका दुःख मिला
और उन्होंने उसके दुःख की तलाशी ली
लेकिन उन्हें सिर्फ़ उसका क़ैदख़ाना मिला
और उन्होंने उसके क़ैदख़ाने की तलाशी ली
लेकिन उन्होंने वहां सिर्फ़ ख़ुद को पाया बेड़ियों में
(एक लम्बी कविता का यह टुकड़ा तीस मार्च को मनाए जाने वाले फ़िलिस्तीनी पृथ्वी दिवस को सन्दर्भित करता है और १९७६ में इज़राइली सेना द्वारा मार डाली गई पांच युवा लड़कियों की स्मृति में मनाया जाता है.)
तहसनहस किये जा चुके एक गांव में एक जड़ शाम
आंखें अधसोईं
मैं याद करता हूं तीस साल
और पांच युद्ध
मैं क़सम खाता हूं भविष्य धरे हुए है
मक्के के मेरे दाने
और गायक गाता जाता है
एक आग और कुछ अजनबियों की बाबत
और शाम बस एक और शाम है
और गायक गाता जाता है
और उन्होंने उस से पूछा:
तुम क्यों गाते हो?
उसने जवाब दिया:
मैं गाता हूं क्योंकि मैं गाता हूं...
और उन्होंने उसके सीने की तलाशी ली
लेकिन उन्हें सिर्फ़ उसका दिल मिल सका
और उन्होंने उसके दिल की तलाशी ली
लेकिन उन्हें सिर्फ़ उसके जन मिल सके
और उन्होंने उसकी आवाज़ की तलाशी ली
लेकिन उन्हें सिर्फ़ उसका दुःख मिला
और उन्होंने उसके दुःख की तलाशी ली
लेकिन उन्हें सिर्फ़ उसका क़ैदख़ाना मिला
और उन्होंने उसके क़ैदख़ाने की तलाशी ली
लेकिन उन्होंने वहां सिर्फ़ ख़ुद को पाया बेड़ियों में
(एक लम्बी कविता का यह टुकड़ा तीस मार्च को मनाए जाने वाले फ़िलिस्तीनी पृथ्वी दिवस को सन्दर्भित करता है और १९७६ में इज़राइली सेना द्वारा मार डाली गई पांच युवा लड़कियों की स्मृति में मनाया जाता है.)
3 comments:
और उन्होंने उस से पूछा:
तुम क्यों गाते हो?
उसने जवाब दिया:
मैं गाता हूं क्योंकि मैं गाता हूं...
अद्भुत रचना...
नीरज
कोमल भावो की अभिवयक्ति......
आह, क्या कविता है, अशोक भाई! तलाशी में जो कुछ मिला, वही तो गाते रहे दरवेश।
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