Saturday, May 5, 2012
एक संगीतमय किस्सा
उस्ताद नसीरुद्दीन सामी साहब की एक संगीतमय महफ़िल से पहले अनाउंसर एक बेहतरीन किस्सा बयां करते हैं. क्या ज़माना रहा होगा, कैसे कैसे तो वो लोग रहे होंगे. भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक और आयाम देखिये. लुत्फ़ की गारंटी -
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