वही आदमी
संजय चतुर्वेदी
बाबा और कितनी दूर होगा गांव
उदास यादें
जाड़े की धूप में तैर रही हैं
साइकिल खड़खड़ाती है
मेंड़ के पीछे छिपे हैं अनजान कट्टे
गांव है करीब तीन कोस दूर
तीन कोस जो कभी खत्म नहीं होंगे
शाम बढ़ने लगी है
मील भर पीछे छूट गया है गन्ने का रस
अगले मोड़ पर बैठी है ठौर मार देने की तमन्ना
और कितने दिन अब जिएंगे हम
दो घंटा
या बीस बरस ?
और ट्रांजिस्टर पर गाना आ रहा है
नेकी तेरे साथ चलेगी बाबा
बाबा हम भी जाएंगे जसवंतनगर
या सरैया
जो बसी है जरगो किनारे
जरगो में सड़ती है सरैया
घास, टमाटर और भैंसे
जरगो में सड़ता है जसवंतनगर
जो होगा जरगो से तीन-चार सौ मील दूर
या राजस्थान में सूखे के दिनों देखा जो असहाय आदमी
वह भी दिखायी देता है जरगो में
कुछ नहीं बदलता चार सौ मील में
और वही आदमी बैठा है सड़क किनारे
लॉस-एंजिलिस की क्रूर रातों को झेलता.
बाबा और कितनी दूर होगा गांव
उदास यादें
जाड़े की धूप में तैर रही हैं
साइकिल खड़खड़ाती है
मेंड़ के पीछे छिपे हैं अनजान कट्टे
गांव है करीब तीन कोस दूर
तीन कोस जो कभी खत्म नहीं होंगे
शाम बढ़ने लगी है
मील भर पीछे छूट गया है गन्ने का रस
अगले मोड़ पर बैठी है ठौर मार देने की तमन्ना
और कितने दिन अब जिएंगे हम
दो घंटा
या बीस बरस ?
और ट्रांजिस्टर पर गाना आ रहा है
नेकी तेरे साथ चलेगी बाबा
बाबा हम भी जाएंगे जसवंतनगर
या सरैया
जो बसी है जरगो किनारे
जरगो में सड़ती है सरैया
घास, टमाटर और भैंसे
जरगो में सड़ता है जसवंतनगर
जो होगा जरगो से तीन-चार सौ मील दूर
या राजस्थान में सूखे के दिनों देखा जो असहाय आदमी
वह भी दिखायी देता है जरगो में
कुछ नहीं बदलता चार सौ मील में
और वही आदमी बैठा है सड़क किनारे
लॉस-एंजिलिस की क्रूर रातों को झेलता.
3 comments:
is kabad khane me to badi mast mast rachane hai ,likhte rahiye
http://blondmedia.blogspot.in/
is kabad khane me to badi mast mast rachane hai ,likhte rahiye
http://blondmedia.blogspot.in/
अब तो नेकी भी साथ नहीं चलती। जब तक वह साथ निभाने आती है, तब तो अपना तिया पांचा हो चुका होता है।
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