Tuesday, September 18, 2012

तिस पर ये अब्र बारां और गुल है और चमन है - नज़ीर अकबराबादी की बरसातें - २


बरसात का तमाशा

अहले सुखन को हैगा एक बात का तमाशा
और आरिफ़ों की खातिर है ज़ात का तमाशा
दुनिया के साहिबों को दिन रात का तमाशा
हम आशिक़ों को हैगा सब घात का तमाशा

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

ख़ुर्शीद गर्म होकर निकला है अपने घर से
लेता है मोल बादल कर कर तलाश ज़र से
कोई हवा भी लेकर, बादल को हर नगर से
आधे असाढ़ तो अब, दुश्मन के घर से बरसे

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

क़ासिद सबा के दौड़ें, हर तरफ मुंह उठा कर
हर कोहो दश्त को भी कहते हैं यूँ सुनाकर
हाँ सब्ज़ जोड़े पहनो, हर दम नहा नहा कर
कोई दमको मेघ राजा, देखेगा सबको आकर

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

जब ये नवेद पहुँची, सहरा में एक बारी
होने लगी वहां फिर, बरसात की तयारी
चश्मों में कोह के भी हुई सब की इन्तिज़ारी
मौसम के जानवर भी आते हैं बारी बारी

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

जिन साहिबों के दिल को, कुछ ऐश से है बहरा
वह इस हवा में आकर, देखें है कोहो सहरा
हर तरफ आब सब्ज़ा, और गुलबदन सुनहरा
जंगल में आज मंगल किस किस तरह का लहरा

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

सावन के बादलों से फिर आ जो घटा छाई
बिजली ने अपनी सूरत फिर आन कर दिखाई
हो मस्त राद गरजा, कोयल की कूक आई
बदली ने क्या मज़े की रिमझिम लड़ी लगाई

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

कोई अपने दिलरुबा से कहता है “देखें जंगला”
“चीरे” को तू गुलाबी या गुल अनार रंग का
और साग़र-ओ-सुराही मै की, तू अपने संग ला
पी पी नशों में सैरें देखें बनाके बंगला

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

हर गुलबदन के तन में पोशाक है इकहरी
पगड़ी गुलाबी, हलकी, या गुल अनार गहरी
सहल-ए-चमन में है जो, बारह दरी सुनहरी
उनमें सभों की आकर है बज़्म-ए-ऐश ठहरी

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

माशूक़ आशिक़ों में क्या बज़्म बानमक है
शीशा, गुलाबी, साक़ी और जाम-ओ गजक है
झंकार ताल की है और तबले की खड़क है
गौरी, मलार के साथ आवाज़ की गमक है

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

आकर कहीं मज़े की नन्ही फुहार बरसे
चीरों का रंग छूटकर हुस्न-ओ-निगार बरसे
एक तरफ औलती की बाहम कतार बरसे
छाजों उमड़ के पानी मूसल की धार बरसे

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

हर कोह की कमर तक सब्ज़ा है लहलहाता
बरसे है मेंह झड़झड़ पानी बहा है जाता
बहश-ओ-तयूर हर एक मॉल मलके है नहाता
गू गां करे है मेढक झींगुर है गुल मचाता

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

गुलशन में आ फिरे हैं सब गुल बदन नुकीले
साथ उनके लग रहे हैं आशिक़ जो हैं रंगीले
कहता कोई किसी से “अय दिलरुबा हटीले
एक ही गुलाबी मय की हाथों से मेरे पी ले”

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

काली घटा है हर दम बरसें हैं मेंह की धारें
और जिसमें उड़ रही हैं बगलों की सौ कतारें
कोयल पपीहे कूकें और कूक कर पुकारें
और मोर मस्त होकर जूँ कोकिला चिंघारें

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

काली घटाएं आकर हो मस्त तुल रही हैं
जुगनू चमकते फिरते जूँ आसमाँ पै तारे
लिपटे गले से सोते, माशूक़ माह पारे
गिरती है छत किसी की कोई खड़ा पुकारे

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

हाथों में हर एक के फूलों की लाल छड़ियाँ
बिजली चमकती फिरती और लग रही हैं झड़ियाँ
कुल बूंदों के जो ऊपर बूँदें हैं मेंह की पड़ियाँ
बरसें गोया हजारों अब मोतियों की लडियां

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

हर एक उनमें बेहतर महबूब गुलबदन है
ख़ूबी में बर्ग गुल से बेहतर हर एक का तन है
तिस पर ये अब्र बारां और गुल है और चमन है
आशिक़ के दिल से पूछो क्या एश का चलन है

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

शहरों के बीच हर जा, उम्दों के जो मकां हैं
बारां को देखने की बाम-ओ-अटारियां हैं
बैठे हुए बगल में माशूक़ दिल सतां हैं
हर रंग हर तरह की मै की गुलाबियाँ हैं

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

बंगले, सभों ने हरजा ऊंचे छवाए ज़र्दे
मेवे, मिठाई, अम्बा, अंगूर और सरदे
पकवान ताज़े ताज़े, खासे पुलाव ज़र्दे
बरसे है अब्र बारां खुलवा दिए हैं परदे

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

अब शहर में जहाँ तक ओबाश पेशावर हैं
बैठे दूकान ऊपर बे खौफ़-ओ-बे-खतर हैं
माशूक़ हैं बगल में महबूब सीम बर हैं
और सब ग़रीब-ओ-गुरबा दिलशाद अपने घर हैं

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

आगे दुकां के नाला है मौज मार चलता
आलम तरह-तरह का आगे से है निकलता
कोई छपकता पानी औरकोई है फिसलता
ठठ्ठा है और मज़ा है आब-ए-अनब है ढलता

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

मामूर हैं जहाँ की सब ताल और तलैयां
सब भर रहा है पानी हो नहर या नहरियाँ
और डालियाँ चमन की बूंदों से झुक हैं रहियां
बादल भरे हैं जैसे माशूक हैं दो गनियाँ

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा

है जो ‘नज़ीर’ जिसकी धूमें उकस्तियां हैं
सबसे ज्यादा उसको अब ऐश मस्तियाँ हैं 
माशूक़ हैं बगलमें और मै परस्तियां हैं
शेरों से मोतियों की बूँदें बरस्तियां हैं

आ यार! चलके देखें,बरसात का तमाशा



आरिफ़- ज्ञानी, ज़ात- अस्तित्व, ख़ुर्शीद- सूरज, क़ासिद- दूत, सबा- ठंडी हवा, कोह- पहाड़, दश्त- जंगल, नवेद- शुभ सूचना, राद- बादलों का देवता, बहश-ओ-तयूर- पशु-पक्षी, अब्र- बादल, बारां- बारिश, ओबाश- बदमाश, आब-ए-अनब- अंगूरी शराब,

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