Thursday, September 20, 2012

अगर तुम्हें नींद नहीं आ रही


अगर तुम्हें नींद नहीं आ रही

-चंद्रकांत देवताले

अगर तुम्हें नींद नहीं आ रही
तो मत करो कुछ ऐसा
कि जो किसी तरह सोए हैं उनकी नींद हराम हो जाए

हो सके तो बनो पहरुए
दुःस्वप्नों से बचाने के लिए उन्हें
गाओ कुछ शान्त मद्धिम
नींद और पके उनकी जिससे

सोए हुए बच्चे तो नन्हें फरिश्ते ही होते हैं
और सोई स्त्रियों के चेहरों पर
हम देख ही सकते हैं थके संगीत का विश्राम
और थोड़ा अधिक आदमी होकर देखेंगे तो
नहीं दिखेगा सोये दुश्मन के चेहरे पर भी
दुश्मनी का कोई निशान

अगर नींद नहीं आ रही हो तो
हँसो थोड़ा , झाँको शब्दों के भीतर
ख़ून की जाँच करो अपने
कहीं ठंडा तो नहीं हुआ

3 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह.....
बेहद खूबसूरत रचना....
लफ्ज़ लफ्ज़ बेमिसाल.......

सादर
अनु

Dinesh Semwal said...

Neend ud gayi pande ji kavita pad kar

Dinesh Semwal said...

Neend ud gayi pande ji kavita pad kar