Tuesday, October 2, 2012

पर दु:खे उपकार करे तो ये, मन अभिमान ना आणे रे


दो अक्टूबर के अवसर पर एक रिपीट पोस्ट 


रियाज़ क़व्वाली नाम से जाने जाने वाले इस ग्रुप की स्थापना २००६ में हुई थी. सोनी मेहता इस के मुख्य गायक हैं. शास्त्रीय संगीत की अपनी ट्रेनिंग का इस्तेमाल इस ग्रुप के सदस्यों - रवि नुलू, वैभव जैन आबेद हक़ और सुचरित कात्या ने क़व्वाली में किया. आज पेश है इन का गाया नरसी मेहता रचित मशहूर भजन - वैष्णव जन, क़व्वाली की शक्ल में.


 

3 comments:

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

गाँधी जी का प्रिय भजन कव्वाली के रूप में सुनकर मन प्रसन्न हो गया। आभार।

Vineeta Yashsavi said...

yah Bhajan mujhe itna melodious pahle kabi nahi laga tha...

Smart Indian said...

वाह! सेम सेम बट सो डिफरेंट!