Tuesday, November 20, 2012

पृथ्वीराज चौहान की सरकार का दंडवत समर्पण न केवल शर्मनाक , बल्कि खतरनाक भी


20 नवम्बर. शाहीन और  रेनू मुंबई की इन दो  छात्राओं को मुंबई पुलिस ने कल इसलिए गिरफ्तार किया कि फेसबुक पर शाहीन ने  यह सवाल उठाया  कि बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद और अंतिम संस्कार के दिन   मुंबई क्यों बंद रही. फेसबुक पर इस पोस्ट को रेनू ने 'लाइक' किया था. इसके बाद शिव-सैनिकों ने शाहीन के चाचा की क्लीनिक को ध्वस्त किया. बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद  राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार से लेकर फेसबुक पर एक बिलकुल ही सामान्य टिप्पणी पर   की गई  गिरफ्तारी तक, ऐसा लग रहा है मानो सरकार खुद शिवसेना ही चला रही है. पुलिस बल के भीतर शिवसेना की घुसपैठ पहले से ही एक जाना माना तथ्य है. लेकिन पृथ्वीराज चौहान  की सरकार ने इस प्रकरण में अब तक जो कुछ भी किया है, वह भी एक जाना-माना तथ्य है. यह तथ्य और कुछ नहीं, बल्कि 1970 के दशक में वामपंथी ट्रेड यूनियनों को ख़त्म करने के लिए शिवसेना को खड़ा करने में कांग्रेस की ऐतिहासिक भूमिका से लेकर , लगातार उसकी कारगुजारियों को बर्दाश्त करने, अल्पसंख्यकों पर लगातार पुलिस दमन के सिलसिले को जारी रखने  और  कुल  मिलाकर देश भर में  तमाम नाज़ुक मौकों पर साम्प्रदायिक ताकतों के साथ  सांठ- गाँठ है जो कि  कांगेसी सरकारों के  चरित्र का हिस्सा है.  इस मौके पर शिव-सेना के सामने  पृथ्वीराज चौहान की सरकार का दंडवत समर्पण न केवल शर्मनाक , बल्कि खतरनाक भी है. इसकी जितनी निंदा की जाए कम है.

जन संस्कृति मंच शाहीन और रेनू की असंवैधानिक गिरफ्तारी के लिए ज़िम्मेदार पुलिस-कर्मियों को दण्डित किए जाने की मांग करता है. शाहीन के चाचा अब्दुल धाढा के क्लीनिक को ध्वस्त किये जाने की घटना के लिए ज़िम्मेदार न केवल उपद्रवी शिवसैनिकों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए, बल्कि इन दोनों छात्राओं के परिवारों को पुलिसिया कार्रवाई करके सरकार ने जिस तरह असुरक्षित बनाया है, उसकी ज़िम्मेदारी लेते हुए सरकार को अब्दुल  धाढा के क्लीनिक को हुए नुक्सान की भरपाई करनी चाहिए. नागरिक समाज से हम अपील करेंगे कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर इस तरह के सरकार समर्थित हमलों के खिलाफ पुरजोर आवाज़ बुलंद करे. 

प्रणय कृष्ण, महासचिव, जन संस्कृति मंच द्वारा जारी

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