Wednesday, December 26, 2012

इसीलिए जो बात हिन्दी में है वो किसी और में नहीं


स्टार क्रिकेट पर इधर हिन्दी का नया अवतार हुआ है. क्रिकेट मैचों की हिन्दी कमेंट्री की जो टीम छांटी गयी है उसमें सबसे बेहतरीन जोड़ी बनती है सिद्धू और रमीज़ राजा की. एक बानगी देखी जाए –

(स्क्रीन पर युवराज का क्लोज़ अप आता है)

सिद्धू – दोधारी खड्ग युवराज ...

रमीज़ राजा – खड़क सिंह के खड़कने से खड़कती हैं खिड़कियाँ ... खिड़कियों के खड़कने से खड़कता है खड़क सिंह ... हम इसे लड़कपन में दोहराया करते थे ... अब नवजोत आपकी बारी है ऐसा दो बार दोहराने की ... देखें ...

(कुछ देर की खामोशी. गेंदबाज़ ट्रेडवेल गेंद पोंछने के उद्देश्य से जेब से तौलिया निकलता है. )

सिद्धू – और ये तौलिया ... (उत्तेजना में आते हुए) नीला तौलिया निकाल लिया है गेंद पोंछने को ... यानी नमी है मैदान पर ... बहुत नमी है ...

रमीज़ राजा – नवजोत, खड़क सिंह ... का ...

सिद्धू – आप मेरा इम्तहान लेना चाहते हैं ... ज़रा चैलेन्ज करके देखिये ...

रमीज़ राजा – और ये ट्रेडवेल ... इनके सर पर थोड़े कम बाल हैं ... और उम्र सिर्फ तीस ...

सिद्धू – घनघोर आश्चर्य ... लगता नहीं हमसे छोटे हैं ये ... प्रकृति का क्या चमत्कार ... और रमीज़ रणवीर युवराज का ये पराक्रमी शॉट ... एक रन मिलेगा ज़रूर ...

... आप अपना सर पीट सकते हैं, टीवी स्क्रीन पर पत्थर मार सकते हैं, चाहे तो स्टार क्रिकेट का पुतला फूंक सकते हैं लेकिन सुनने को आपको यही हिन्दी मिलेगी ... क्योंकि जो बात हिन्दी में है वो किसी और में नहीं ... जिसकी मर्जी आये उसे लात मार जाए

...क्या कहते हैं जसदेव सिंह जी?

4 comments:

PD said...

:)

अनूप शुक्ल said...

मजेदार!

परमेन्द्र सिंह said...

और इस हिंदी में 'जीत की दहलीज़' नहीं 'जीत की कगार' होती है, 'चातक' एक पक्षी नहीं रहता, मोती बन जाता है... जो बात 'इस हिंदी' में है, किसी और में नहीं.

प्रवीण पाण्डेय said...

जय हो, संवाद तो है, थोड़े दिनों में क्रिकेट भी बतियायेंगे।