मैं कौन हूँ? तुम कौन हो
-लाल्टू
मैं कौन हूँ? तुम कौन हो?
मैं एक पिता देखता हूँ पितृहीन प्राण.
ग्रहों को पार कर मैं आया हूँ
एक भरपूर जीवन जीता बयालीस की बालिग उम्र
देख रहा हूँ एक बच्चे को मेरा सीना चाहिए
ग्रहों को पार कर मैं आया हूँ
एक भरपूर जीवन जीता बयालीस की बालिग उम्र
देख रहा हूँ एक बच्चे को मेरा सीना चाहिए
मेरे एकाकी क्षणों में उसका प्रवेश सृष्टि का आरंभ है
मेरी दुनिया बनाते हुए वह मुस्कराता है
सुनता हूँ बसंत के पूर्वाभास में पत्तियों की खड़खड़ाहट
दूर दूर से आवाज़ें आती हैं उसके होने के उल्लास में
आश्चर्य मानव संतान
अपनी संपूर्णता के अहसास से बलात् दूर
उंगलियाँ उठाता है, मांगता है भोजन के लिए कुछ पैसे
No comments:
Post a Comment