Sunday, January 27, 2013

कभी लिखेंगे कवि इन्हें भी घटनाओं की तरह



सूर्यास्त के आसमान

-आलोक धन्वा

उतने सूर्यास्त के उतने आसमान
उनके उतने रंग
लंबी सड़कों पर शाम
धीरे बहुत धीरे छा रही शाम
होटलों के आसपास
खिली हुई रोशनी
लोगों की भीड़
दूर तक दिखाई देते उनके चेहरे
उनके कंधे जानी-पहचानी आवाज़ें

कभी लिखेंगे कवि इसी देश में
इन्हें भी घटनाओं की तरह

No comments: