‘उस’ के लिए गीत
-अदूनिस
मैंने नहीं कहा: ओ,मेरे भाई, तुम मर चुके.
मैंने कहा: तुम जाओगे, और जानोगे क्या होने को है.
तुम्हारे कदम थम गए हैं, लेकिन तुम्हारी छाया
अब भी आगे बढ़ाती है एक बच्चे के हाथ.
मैं हैरत कर रहा हूँ.
क्या तुम अब भी जीवित हो?
क्या मेरी आँखें तुम्हारी आँखें हैं?
क्या मृत्यु हमारे बीच एक आईना है?
मैं देख रहा हूँ जिसे तुम देख चुके,
अपना तर्जुमा करता हूँ तुम में.
मैं हैरत करता हूँ क्या हम दोनों एक ही शरीर हैं
त्रासदी की रोटी साझा करते हुए
प्रेम और जीवन की रोटी साझा करते हुए?
दो अपरिचित, दो मरियल, पैरों तले कुचली हुई दो आकृतियाँ?
मैं रोता हूँ : मैं हसरतों का कर्बला हूँ.
और तुम चिल्ला कर कहे कहते हो : ओ मेरे स्वामी, अल-हुसैन.
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