Wednesday, January 30, 2013

पाब्लो नेरुदा से एक बातचीत - ६



पाब्लो नेरुदा से एक बातचीत - ६

-अनुवाद  : मंगलेश डबराल

(पिछली कड़ी से आगे)


युवा कवियों को आप क्या सलाह देना चाहेंगे?

नेरुदा: अरे नहींयुवा कवियों को क्या सलाह दें! इन्हें अपना रास्ता खुद बनाना हैः उन्हें अपनी अभिव्यक्ति की राह में बाधाओं का सामना करना होगा और उन पर विजय पानी होगीहां राजनीतिक कविता से अपनी अन्य-यात्रा शुरू करने की सलाह मैं उन्हें कभी नहीं दूंगाराजनीतिक कविता में दूसरे किसी भी कविता से ज्यादा गहरा भावावेग होता है - कम से कम प्रेम-कविता जितना भी होता ही और उसे जबरन नहीं लिखा जा सकता, क्योंकि तब वह फूहड़ और अग्राह्य हो जाती हैएक राजनीतिक कवि होने के लिए पहले दूसरी तमाम तरह की कविताओं से गुजरना आवश्यक हैराजनीतिक कवि पर कविता से या साहित्य से विश्वासघात करने के जो आक्षेप लगते हैं, उसे उन्हें भी स्वीकार करने के लिए तैयार रहना होगाफिर, राजनीतिक कविता ऐसे कथ्य और वास्तविकता से लैस होनी चाहिए और उसमें इतनी बौद्धिक और भावनात्मक सम्पन्नता होनी चाहिए कि वह दूसरी का तिरस्कार करने में सक्षम हो सकेऐसा कभी-कभी ही हो पाता है

आपने अक्सर कहा है कि मैं मौलिकता में विश्वास नहीं रखता।

नेरुदा: हर क़ीमत पर मौलिक होने की कोशिश करना एक आधुनिक शर्त हैइस युग में लेखक आपका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करना चाहता है, और फिर यह वही चिंता एक अंधश्रद्धा का रूप धारण कर लेती है। हर कोई इस फिराक में रहता है कि वह ऐसा कोई रास्ता हो जहां वह अद्वितीय हो: किसी गहराई में जाने या कुछ करने के लिए नहीं, बल्कि एक विशिष्ट प्रकार की क्षमता ओढ़ने के लिए सबसे मौलिक कलाकार में आपको समय और युग के अनुसार विभिन्न बदलाव दिखायी देंगेइस संदर्भ में पिकासो एक अद्भुत उदाहरण हैं, जिनके यहां शुरूआत में अफ्रीकी कलाकृतियों और मूर्तियों या आदिम कलाओं की प्रेरणा मिलती है और फिर वह रूपांतरण की ऐसी शक्ति के आगे बढ़ते हैं कि अद्भुत मौलिकता से सम्पन्न उनका कृतित्व विश्व के सांस्कृतिक भूगर्भ में अनेक अवस्थाओं में दिखलायी पड़ता है

आप पर कौन-से साहित्यिक प्रभाव रहे?

नेरुदा: एक तरह से लेखकों में अदला-बदली हमेशा चलती है: उसी तरह जैसे हम जिस हवा में सांस लेते हैं वह किसी एक जगह की नहीं होतीलेखक हमेशा घर-घर घूमता हुआ प्राणी होता है: उसे अपना साज-सामान बदलना ही होता हैकुछ लेखकों को यह अटपटा भी लगता हैमुझे याद है, लोर्का मुझे अक्सर अपनी कविताएं सुनाने को कहते थे और फिर सुनते-सुनते अचानक बीच में बोल उठते थे: रूको, रूको! आगे मत पढ़ो, कहीं मैं तुमसे प्रभावित न हो जाऊं

अब नॉर्मन मेलरआप उनके बारे में सबसे पहले लिखने वालों में से है

नेरुदा: मेलर का दि नेकेड एण्ड दि डेडछपने के कुछ ही दिनों बाद माक्सिको में किताबों की एक दूकान में इस पर मेरी निगाह पड़ीइस पुस्तक के बारे में किसी को कुछ मालूम नहीं था: पुस्तक-विक्रेता भी नहीं जानता था कि इसमें है क्यामैंने उसे इसलिए खरीदा कि मैं सफर कर रहा था और कोई नया अमरीकी उपन्यास पढ़ना चाहता थामैं सोचता था कि अमरीकी उपन्यास ट्रीजर से लेकर हेमिंग्वे, स्टीनबेक और फाॅकनर जैसी हस्तियों तक आने के बाद खत्म हो चुका हैलेकिन अब मैंने एक ऐसे लेखक को खोज लिया था जिसकी भाषा असाधारण रूप से आक्रामक थी और साथ ही, बड़ी बारीक और अद्भुत वर्णन-शक्ति थीमैं पास्तरनाक की कविता का बहुत प्रशंसक हूं लेकिन दि नैकेड एंड दि डेडसे तुलना करने पर पास्तरनाक का ‘डॉक्टर ज़िवागोएक उबाऊ रचना लगती है: सिर्फ प्रकृति-वर्णन के कुछ अंश ही उसे बचा ले जाते हंैयानी कि वे अंश, जो कविता हैंमुझे याद है कि आराकशों को जगने दोशीर्षक कविता मैंने उन्हीं दिनों लिखीलिंकन के व्यक्तित्व का आह्नान करने वाली यह कविता विश्वशांति को समर्पित थीइसमें मैंने ओकिनावा के और जापान के युद्ध के बारे में लिखा था और नॉर्मन  मेलर का उल्लेख भी किया थायह कविता यूरोप पहुंची और अनूदित हुईमुझे याद है, लुई अरागां ने मुझे बतलाया था कि यह पता लगाने में बहुत ज्यादा दिक्कत हुई कि नॉर्मन  मेलर कौन है?’ वास्तव में उन्हें कोई नहीं जानता था और मुझे एक खास तरह का गौरव हुआ कि मैं उन्हें ढूंढ़ने वाले पहले लेखकों में से हूं

(जारी)

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