Thursday, March 21, 2013

बस ऐसे ही



बस ऐसे ही


सारी सुन्दर स्त्रियों ने सोचा
कि प्यार पर लिखी गईं मेरी सारी कविताएँ
उनके वास्ते थीं.
और मुझे बहुत खराब लगता रहा हमेशा
उन्हें बस ऐसे ही
लिख चुकने के बाद.

2 comments:

Tamasha-E-Zindagi said...

सुन्दर :)

Anonymous said...

बेहतरीन रचना पढने के लिए यहाँ तक आने का रास्ता दिखने का शुक्रिया... बधाई