Wednesday, June 26, 2013

क्या तमाशा ये अदीबों ने बना रक्खा है


दैरों में गुनाहों की तरह

-संजय चतुर्वेदी

कुछ तो इक जाल सा हर सिम्त बिछा रक्खा है
बाकी अत्तार के चेलों को लगा रक्खा है
कुछ समझ में नहीं आता कि ये चक्कर क्या है
क्या तमाशा ये अदीबों ने बना रक्खा है
यूं सुखन पेश है दैरों में गुनाहों की तरह
फिर ज़ियारत को अगर जाओ तो क्या रक्खा है.

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