दो छोटे बंद
- संजय चतुर्वेदी
१.
कामचरित
कवि, आलोचक, अद्भुत जोरी, मिलि होटल मंह बोतल फोरी
हमहूँ तात रहे तेही संगा, देखत कामचरित अति नंगा
२.
कैसे शिव से गिरिजा विवाह
मज़ाक-ए-हिन्द का सारा सलीका ग़ज़ब तैयार होता जा रहा है
सुखन मुश्ताक़ है ये कौम शाइर वज़ीफ़ाख्वार होता जा रहा है
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