Thursday, June 27, 2013

हमहूँ तात रहे तेही संगा, देखत कामचरित अति नंगा


दो छोटे बंद

- संजय चतुर्वेदी

१.
कामचरित

कवि, आलोचक, अद्भुत जोरी, मिलि होटल मंह बोतल फोरी
हमहूँ तात रहे तेही संगा, देखत कामचरित अति नंगा

२.
कैसे शिव से गिरिजा विवाह

मज़ाक-ए-हिन्द का सारा सलीका ग़ज़ब तैयार होता जा रहा है
सुखन मुश्ताक़ है ये कौम शाइर वज़ीफ़ाख्वार होता जा रहा है

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