Wednesday, June 12, 2013

एक मोती मुझे देखता है



वर्मीयर की नन्ही लड़की

-आदम ज़गायेव्स्की 

अब विख्यात हो चुकी, वर्मीयर की नन्ही लड़की
मुझे देखती है. एक मोती मुझे देखता है.
वर्मीयर की नन्ही लड़की के होंठ
लाल, नाम और चमकदार हैं.

ओ वर्मीयर की नन्ही लड़की, ओ मोती,
नीला पगिया: तुम पूरी पूरी रोशनी हो
और मैं बना हूँ परछाईं का.
रोशनी उपेक्षा करती है परछाईं की
धैर्य के साथ, या शायद दया के साथ.   

[योहान वेर्मीयर, डच पेंटर (१६३२-१६७५) थे जिन्हें मध्यवर्गीय जीवन के भीतरी तत्वों को पकड़ने में महारत हासिल थी. सचेत पाठकों को याद होगा, कबाड़खाने पर कभी लगाई गयी शिम्बोर्स्का की एक कविता में वेर्मीयर का ज़िक्र हुआ है.] 

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

अहा, बहुत ही सुन्दर...जीवन्त...

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बढिया बहुत सुंदर


मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
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