दिग्गज कवि केदारनाथ अग्रवाल की
कविता-
आग लगे इस राम-राज में
१.
आग लगे इस राम-राज में
ढोलक मढ़ती है अमीर की
चमड़ी बजती है गरीब की
खून बहा है राम-राज में
आग लगे इस राम-राज में
२.
आग लगे इस राम-राज में
रोटी रूठी, कौर छिना है
थाली सूनी, अन्न बिना है,
पेट धँसा है राम-राज में
आग लगे इस राम-राज में
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