Sunday, June 23, 2013

और जल्दी से चल दूंगी उन ऊंचाइयों की तरफ़ जहां मैं जाना चाहती थी

फेसबुक पर एक मित्र द्वारा की गयी पोस्ट से याद आया कि आज महान रूसी  कवयित्री अन्ना अख्मातोवा का जन्मदिन है. पेश है अन्ना को याद करते हुए उनकी एक कविता का रीपोस्ट  -



तुम सुनोगे तूफ़ान को

अन्ना अख़्मातोवा

तुम सुनोगे तूफ़ान को, तुम मेरी याद करना
और सोचना: वह चाहती थी तूफ़ान आएं. आकाश की किनारी
कड़े कत्थई रंग की होगी
और लपटें उठ रहॊ होंगी तुम्हारे दिल में, जैसा तब हुआ करता था.

यह सब सच होगा एक दिन मॉस्को में
जब मैं तुमसे अन्तिम विदा लूंगी
और जल्दी से चल दूंगी उन ऊंचाइयों की तरफ़
जहां मैं जाना चाहती थी

अपनी परछाईं को छोड़कर, तुम्हारे पास रह जाने के लिये.

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