Thursday, July 4, 2013

हिन्दी फ़िल्में और जेम्स हेडली चेज़


मुझसे एक या संभवतः आधी पीढ़ी पहले जेम्स हेडली चेज़ का ऐसा क्रेज़ था कि हमारे दूरस्थ कस्बों तक में रेहड़ियों-गुमटियों में उनके जासूसी उपन्यासों की बिक्री होना आम बात थी. और यह बिक्री धड़ल्ले से हुआ करती थी. लड़कपन के मेरे एक दोस्त के पापा के पास तो शायद इस लेखक की सारी किताबें थीं जिन्हें वे करीने से अपनी शोकेस में बाकायदा ताला लगाकर रखते और बच्चों के  लिए वर्जित इन रंगबिरंगे आवरणों वाली किताबों के प्रति हमारा आकर्षण किसी जंगली आग की तरह फैलता जाता था.

खैर!

अभी कुछ दिन पहले कलकत्ता से मेरे घर आये एक मित्र ने मेरी पुरानी किताबों वाली अलमारी से चेज़ के दो उपन्यास बाहर निकाले तो भान हुआ कि कबाड़खाने में जेम्स हेडली चेज़ का ज़िक्र भी आज तक नहीं हुआ है. तो लीजिये साहेबान आज आपको जेम्स हेडली चेज़ और बॉलीवुड के रिश्तों की बाबत कुछ दिलचस्प बातें बतलाता हूँ-


इंग्लैण्ड में जन्मे चेज़ साहब (२४ दिसम्बर १९०६ – ६ फ़रवरी १९८५) का असल नाम था रेने लॉज ब्रेबेज़ोन रेमण्ड. यह बात दीगर है कि उन्हें महज़ एक उपनाम से तसल्ली नहीं हुई सो जनाब ने जेम्स डोकर्टी, रेमण्ड मार्शल और एम्ब्रोस ग्रांट के नाम से भी लिखा. अपने समूचे करियर में कोई नब्बे थ्रिलर लिख चुके जेम्स हेडली चेज़ अपने ज़माने में यूरोप में इस विधा के सबसे लोकप्रिय और बिकने वाले लेखक थे. और मेरा अनुमान है कि संभवतः भारत में भी कोई विदेशी लेखक इतना नहीं बिका होगा.

जेम्स हेडली चेज़ की पचास से ऊपर किताबों पर फ़िल्में बन चुकी हैं. ज़ाहिर है बिकाऊ कहानियों की तलाश में सतत श्रमरत भारतीय फ़िल्म निर्माताओं की नजर भी चेज़ पर पड़नी ही थी.


‘देयर्स अ हिप्पी ऑन द हाइवे’ से प्रेरित ‘विक्टोरिया नं . 203’ १९७२ में बनी थी. बृज द्वारा निर्मित-निर्देशित इस फ़िल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं नवीन निश्चल, सायरा बानू, अशोक कुमार, रंजीत, हेलेन और प्राण ने. क्रमशः राजा और राना का किरदार निभाने वाले अशोक कुमार और प्राण साहब को इस काम के लिए फिल्मफेयर पुरूस्कार का नामांकन हासिल हुआ था.



अलबत्ता ‘विक्टोरिया नं . 203’ से पहले १९७१ में चेज़ के उपन्यास ‘लेडी – हेयर्स योर रीथ’ पर आधारित फ़िल्म ‘मेमसाब’ बनाई जा चुकी थी. विनोद खन्ना और योगिता बाली, बिंदु और जॉनी वॉकर स्टारर इस फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक थे आत्मा राम. 


१९७३ में यश चोपड़ा के निर्देशन में गुलशन राय  के द्वारा निर्मित ‘जोशीला’ आई. यह फ़िल्म चेज़ के उपन्यास ‘शॉक ट्रीटमेंट’ से प्रेरित थी. गुलशन नंदा ने फ़िल्म की पटकथा लिखी थी जबकि देव आनंद, राखी और हेमा मालिनी जैसे सुपर स्टारों ने इसमें काम किया.


इसी साल एक और फ़िल्म में जेम्स हेडली चेज़ के जादू का इस्तेमाल किया गया. सीरू दरियानी द्वारा निर्मित और फीरोज़ चिनॉय द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘कशमकश’ ‘टाइगर बाई द टेल’ के कथानक के इर्दगिर्द बुनी गई थी. फीरोज़ खान, शत्रुघ्न सिन्हा, रेखा, पद्मा खन्ना और रंजीत ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं.



१९७८ के साल आई सुपरहिट फ़िल्म ‘शालीमार’ चेज़ के उपन्यास ‘द वल्चर इज़ अ पेशेंट बर्ड’ की प्रेरणा से बनाई गयी थी. सुरेश शाह द्वारा निर्मित इस फ़िल्म का निर्देशन किया था कृष्णा शाह ने. धर्मेन्द्र, ज़ीनत अमान, शम्मी कपूर, प्रेम नाथ और अरुणा ईरानी जैसे सितारों से सजी इस फ़िल्म ने बढ़िया बिजनेस किया. फ़िल्म में किशोर कुमार का गाया “हम बेवफ़ा हर्गिज़ न थे” ख़ूब पॉपुलर हुआ और आज भी जब-तब सुनाई दे जाता है. 


१९८४ में रिलीज़ हुई आर. वी. गुरुपदम द्वारा निर्मित अत्यंत घटिया फ़िल्म ‘अकलमंद’ भी ‘कशमकश’ की तरह ‘टाइगर बाई द टेल’ के कथानक से प्रेरित थी. फ़िल्म के निर्देशक थे एन. एस. राज भारत और मुख्य भूमिकाओं में थे जीतेंद्र, श्रीदेवी, अशोक कुमार, सारिका, कादर खान और शक्ति कपूर.   


तेरह सालों बाद १९९७ में मशहूर फिल्मकार केतन मेहता द्वारा निर्मित-निर्देशित फ़िल्म ‘आर या पार’ जेम्स हेडली चेज़ के उपन्यास ‘द सकर पंच’ पर आधारित थी. फ़िल्म की मुख्य भूमिकाओं में थे जैकी श्रॉफ़, दीपा साही, रितु शिवपुरी, परेश रावल और कमल सिद्धू. प्रेम, वासना, अपराध और दगा इस कहानी की मुख्य थीम्स हैं और केतन ने फ़िल्म का अधिकाँश हिस्सा इटली में शूट किया.


२००३ में कुषाण नन्दी द्वारा निर्मित और किरण श्रॉफ़ के साथ कुषाण नन्दी द्वारा ही निर्देशित फ़िल्म ’88 एंटॉप हिल’ भी ‘कशमकश’ और ‘अकलमंद’ फिल्मों की तरह ‘टाइगर बाई द ट्रेल’ पर ही आधारित थी. फ़िल्म में अभिनय किया था अतुल कुलकर्णी, राहुल देव, सुचित्रा पिल्लई-मलिक, श्वेता मेनन और जैस्मिन डी’सूज़ा ने.


इस क़िस्म की आख़िरी फ़िल्म २००८ में बनी. शिवम नायर द्वारा निर्देशित और श्री आस्थाविनायक और धिलिन मेहता द्वारा निर्मित  ‘महारथी’  चेज़ के उपन्यास ‘देयर्स ऑलवेज़ अ प्राइस टैग’ पर आधारित थी. पहले कहा गया कि यह फ़िल्म परेश रावल के इसी शीर्षक वाले गुजराती नाटक पर बनी है लेकिन असल में वह नाटक भी चेज़ के थ्रिलर से ही इंस्पायर्ड था. बोमन ईरानी, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, अश्विन नायक, परेश रावल और तारा शर्मा ने फ़िल्म में अभिनय किया था. 

आगे किसी पोस्ट में आपको जेम्स हेडली चेज़ के थ्रिलर्स पर बनी अंग्रेज़ी फिल्मों की बाबत बताऊंगा.


पुनश्च: जनाब मैथिली शरण गुप्त जी (ब्लॉगवाणी वाले) ने इस पोस्ट पर फेसबुक पर अपने कमेन्ट में जो कहा है उसे यहाँ जोड़ रहा हूँ –


बहुत खूबचेज मेरे प्रिय लेखक हैं. मेरे बेडरूम में इनका सारा कलेक्शन मौजूद है. 'जोशीला' की तरह 'एक नारी दो रूप' भी शॉक ट्रीटमेंटपर बेस्ड थी जिसे बी आर इशारा ने डायरेक्ट किया था. ऋषि कपूर वाली ‘खेल खेल में’ भी ‘टैल इट टू द बर्ड्स’ से, ‘आख़िरी दांव’ 'कम ईज़ी, गो इज़ी' मारी हुईं थी.

5 comments:

ravindra vyas said...

dilchasp jaankariyan hain!

naveen kumar naithani said...

मुझ जैसे ठेठ ग्रामीण बालक ने अंग्रेजी चेज के उप्न्यास पढकर सीखी...चेज से परिचय सुरेन्द्र मोहन पाठक के थ्रीलर पढ़कर हुआ था. पाठक ने पने शुरूआती उपन्यासों में स्वीकर किया था कि वे चेज के फलां उपन्यास पर है ..या वह अनुवाद रहा होगा...बचपन की इतनी ही स्मृति अब रही है ...बहरहाल गुमनाम किसके उपन्यास पर थी?

Ashok Pande said...

नवीन भाई, 'गुमनाम' बनी थी अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास 'एंड देन देर वर नन' पर. चलिए इस बहाने अगाथा क्रिस्टी पर भी एकाध पोस्ट हो जाएँगी.

Alok Srivastava said...

जानकारीपूर्ण आलेख
स्कूल और कॉलेज के दिन याद आ गए जब इन लेखकों के उपन्यास पढना प्रिय शगल हुआ करता था ....

abcd said...

very informative....fotu of james is suerior then all film posters.