पंडित कुमार गंधर्व जी के स्वर में सुनिए कबीरदास जी का एक और भजन-
हिरना समझ बूझ बन चरना
एक बन चरना, दूजे बन चरना, तीजे बन पग नहीं धरना
पांच हिरना, पच्चीस हिरनी उनमें एक चतुर ना
तोये मार, तेरो मास बिकावे, तेरे खाल का करेंगे बिछोना
कहे कबीर जो सुनो भाई साधो गुरु के चरण चित्त धरना
1 comment:
अशोक जी,गज़ब कंपोजीशन,कुमार गंधर्व को सुनना यानि दिन सार्थक कर लेना सरीखा, धन्यवाद आपको।
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