Wednesday, September 25, 2013

गुस्ताव क्लिम्ट की पेंटिंग ‘शूबर्ट एट द पियानो’ के बारे में एकाध दिलचस्प बातें


कुछ दिन पहले दिल्ली में रहने वाले और हयूमैनिटीज़ अंडरग्राउंड से सम्बद्ध मित्र प्रशांत चक्रबर्ती ने मुझे गुस्ताव क्लिम्ट की पेंटिंग ‘शूबर्ट एट द पियानो’ का लिंक भेजा था. इसी साल जब वे मेरे घर आए थे तो ड्राइंग रूम में लगी क्लिम्ट की तीन पेंटिंग्स संभवतः उन्हें याद रह गयी थीं. सो यह पोस्ट पूरी तरह से उन्हीं के द्वारा प्रेरित है.

प्रशांत चक्रबर्ती जबलपुर में ज्ञान दद्दा के साथ
क्लिम्ट की इस पेंटिंग में लाल बालों वाली किशोरी और कोई नहीं मिज़ी ज़िमरमान है. २०१२ में आई ख्यात पत्रकार एन-मैरी ओ’कोनर की किताब ‘लेडी इन गोल्ड’ में विस्तार से बताया गया है कि क्लिम्ट की तरफ़ कितनी आसानी से स्त्रियाँ आकर्षित हो जाया करती थीं. इस ऑस्ट्रियाई पेन्टर की ‘शूबर्ट एट द पियानो’ में मिज़ी गर्भवती है और क्लिम्ट के बेटे की माँ बनने वाली है. विएना की एक रईस कला-संरक्षिका सेरेना लीडरर, जिनके पास क्लिम्ट की चौदह पेंटिंग्स का संग्रह था, ने इस पेंटिंग के लिए मिज़ी को अपना बेहद महंगा रेशमी गाउन पहनने को उधार पर दिया था. 

क्लिम्ट की एक और पेंटिंग ‘नेकेड ट्रुथ’ के लिए भी मिज़ी ने बतौर न्यूड मॉडल काम किया था. लेकिन ओ’कोनर कहती हैं कि इस गर्भवती कैथोलिक लड़की से शादी करने का क्लिम्ट का कोई इरादा न था. उन्हीं दिनों क्लिम्ट के कई और स्त्रियों के साथ शारीरिक सम्बन्ध थे. क्लिम्ट ने मिज़ी को बताया कि उनका इरादा जल्द ही विएना विश्वविद्यालय के लिए एक बड़े म्यूरल-प्रोजेक्ट पर अपनी सारी ऊर्जा लगाने का है. मिज़ी ने अपनी गर्भावस्था की बाबत अपनी माँ से बात की. ओ’कोनर बताती हैं कि इस बात पर मिज़ी की सौतेली माँ ने उसे घर से निकाल दिया और इस बेसहारा किशोरी ने क्लिम्ट से उसकी आर्थिक मदद करने की भीख माँगी.

लेकिन इस पेंटिंग को अब हम किसी भी संग्रहालय में नहीं देख सकते क्योंकि १९४५ में घर वापस लौट रहे नात्सियों ने सेरेना लीडरर के पास सुरक्षित क्लिम्ट की सभी चौदह पेंटिंग्स को आग के हवाले कर दिया था. सेरेना लीडरर ने सुरक्षा की दृष्टि से अपने इस संग्रह को १९४३ में बैरन रूडोल्फ़ फ्रायडेटन के पास रखवा रखा था. बैरन रूडोल्फ़ फ्रायडेटन जर्मन हथियारबंद सेना में इक बड़े अफ़सर थे और उन्होंने इस संग्रह को सुरक्षित समझे जाने वाले भवन श्लोस इम्मेनडोर्फ़ में रखवाया था. इस आगज़नी में क्लिम्ट की महानतम पेंटिंग्स में शुमार ‘गोल्डन एप्पल’ और ‘ट्री, फिलोसौफ़ी एंड जूरिसप्रूडेंस’ भी नष्ट हुईं. ‘ट्री, फिलोसौफ़ी एंड जूरिसप्रूडेंस’ वही पेंटिंग्स-सीरीज थी जिसे क्लिम्ट विएना विश्वविद्यालय के लिए बनाने वाले थे पर वहां से उनके अस्वीकृत हो जाने पर सेरेना लीडरर ने उसे खरीद लिया था. श्लोस इम्मेनडोर्फ़ में लगाई गयी इस आग में और कितनी पेंटिंग्स जलकर राख़ हुईं इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं मिलता.

(पेंटिंग को बड़ा देखने के लिए उस पर क्लिक करें. यह आलेख कैथरीन शोफील्ड सेज़गिन की एक रिपोर्ट पर आधारित है.) 

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