Saturday, September 14, 2013

कहत कबीर सुनो भाई साधो जग से नाता छूटल हो


पंडित कुमार गंधर्व जी के स्वर में सुनिए कबीरदास जी का भजन. इसे यहाँ पहले भी सुनवाया जा चुका है पर क्या फर्क पड़ता है  - “कौन ठगवा नगरिया लूटल हो”

कौन ठगवा नगरिया लूटल हो ।।
चंदन काठ के बनल खटोला ता पर दुलहिन सूतल हो। 
उठो सखी री माँग संवारो दुलहा मो से रूठल हो। 
आये जम राजा पलंग चढ़ि बैठा नैनन अंसुवा टूटल हो। 
चार जाने मिल खाट उठाइन चहुँ दिसि धूं धूं उठल हो।
कहत कबीर सुनो भाई साधो जग से नाता छूटल हो।


No comments: