Monday, September 9, 2013

‘वली’ हरगिज़ अपस के दिल कूँ सीने में न रख ग़मगीं


सजन टुक नाज़ सूँ मुझ पास आ आहिस्ता आहिस्ता
छुपी बातें अपस दिल की सुना आहिस्ता आहिस्ता

ग़रज़ गोयाँ की बाताँ कूँ न ला ख़ातिर मनीं हरगिज़
सजन इस बात कूँ ख़ातिर में ला आहिस्ता आहिस्ता

हर इक की बात सुनने पर तवज्जो मत कर ऐ ज़ालिम
रक़ीबाँ इस सीं होवेंगे जुदा आहिस्ता आहिस्ता

मुबादा मोहतसिब बद-मस्त सुन कर तान में आवे
तम्बूरा आह का ऐ दिल बजा आहिस्ता आहिस्ता

वलीहरगिज़ अपस के दिल कूँ सीने में न रख ग़मगीं

कि बर लावेगा मतलब कूँ ख़ुदा आहिस्ता आहिस्ता

-‘वली’ दकनी

No comments: