Thursday, October 31, 2013

मुझे खोजना ही होगा प्रत्यक्षदर्शियों को


प्रत्यक्षदर्शियों को बुलाना

-येहूदा आमीखाई

कब रोया था मैं आख़िरी दफ़ा?
आ गया है प्रत्यक्षदर्शियों को बुलाने का समय.
जिन्होंने देखा था मुझे रोते हुए आख़िरी दफ़ा
कुछ मर चुके उनमें से.
ख़ूब सारे पानी से धोता हूँ आँखें
ताकि एक बार और देख सकूं संसार को
गीलेपन और दर्द के पीछे से.
मुझे खोजना ही होगा प्रत्यक्षदर्शियों को,
कुछ अरसा पहले मैंने पहली दफ़ा महसूस किया
अपने दिल में खुभी हुई सुईयों को.
मैं भयभीत नहीं हूँ
मैं करीब करीब घमंड से भरा हुआ हूँ, एक लड़के की तरह
जो पाता है पहले बाल अपनी काँखों पर
अपनी टांगों के बीच.

1 comment:

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 01/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!