Tuesday, October 8, 2013

छावनी एक साथ कितनी निरापद और कितनी असहाय


सैनिक अनुपस्थिति में छावनी

-वीरेन डंगवाल 

लाम पर गई है पलटन 
बैरकें सूनी पड़ी हैं 
निर्भ्रान्‍त और इत्‍मीनान से 
सड़क पार कर रही बन्‍दरों की एक डार 

एक शैतान शिशु बन्‍दर 
चकल्‍लस में बार-बार 
अपनी माँ की पीठ पर बैठा जा रहा 
डाँट भी खा रहा बार-बार 

छावनी एक साथ कितनी निरापद 
और कितनी असहाय 
अपने सैनिकों के बगैर
 

1 comment:

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

युद्ध कितना जरूरी कितना व्यर्थ?