(समकालीन तीसरी दुनिया के ताज़ा अंक से साभार)
मणि काफले नेपाल के उन युवा प्रगतिशील कवियों का प्रतिनिधित्व करते
हैं जिन्होंने अपने रचनाकर्म को जनता के संघर्षों के
साथ जोड़ने की जरूरत को बड़ी शिद्दत के साथ महसूस किया
और जनआंदोलनों से ऊर्जा ले कर अपने साहित्य सृजन को
समृद्ध किया. यही वजह है कि राजनीतिक
उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे नेपाल में एक संवेदनशील रचनाकार के रूप में उनकी अलग
पहचान है. नेपाली साहित्य के गहन अध्येता मणि काफले ने
कुछ कहानियां भी लिखी हैं.
ओ
गूगल
नाम
गूगल अर्थ
तुम्हारा
ओ
गूगल,
मुझे
कई-कई चीजें ढूंढनी हैं
तुम्हारे
मार्फ़त
खेतों-खलिहानों
में आते-जाते
पहाड़ों
में चढ़ते-उतरते
गौरैया
जैसी फुर्तीली
चांद
जैसी उजली
सुश्री
कांछी माया के
जमींदार
के बेटे के साथ
बम्बई
तक जाने की खबर है.
लेकिन
उसके बाद वह गुम गयी
जमींदार
का बेटा नहीं गुम हुआ
ओ
गूगल,
जरा
ढूंढो तो
सुश्री
कांछी माया कहां है?
बस्ते
में किताब, कॉपी, कलम
और
टिफ़िन लेकर स्कूल गए
14 वर्ष तीन महीने के
कक्षा
नौ में पढ़ने वाले
बच्चे
के बस्ते में
पुलिस
द्वारा बम ढूंढने
तक
की खबर है
उसके
बाद वह घर नहीं लौटा
आज
तक
ठीक
12 वर्ष गुजर गए
ओ
गूगल
जरा
ढूंढो तो
वह
बच्चा कहां है?
देवताओं
के मंदिर में
लड्डू
और नारियल चढ़ाकर
मिस
नेपाल के सपने संजोने वाली
इस
शहर की तरुणियों के
फोटो
मात्र कितना दिखाओगे तुम
इससे
अच्छा देवताओं के द्वारा
झुठलायी
गयी
फिर
भी
झुठलाएपन
को इनकार करने वाली
मेरी
मां की
अधूरी
इच्छाएं और सपने
उनकी
झुर्रियों भरे चेहरे में
कहीं
दिखेंगे या नहीं
ओ
गूगल
वे
इच्छाएं ढूंढ पाओगे?
कितना
ढूंढोगे
तीन
अंगुल की पैण्टियों में
सजी
हुई सुंदरियां
कितना
ढूंढोगे
डिस्कोथेक
में अश्लील नाचती
वीडियो
क्लिपें
या
पोर्न सुंदरियां?
पति
के द्वारा
दहेज
न लाने पर कोसते हुए
मिट्टी
का तेल लगाकर आग लगाते समय
जिंदा
जलती फूलमती की
छाती
का घाव
किस
चित्र में अंकित है
उसके
चेहरे के
जलते
हुए साए में
उस
समय की तस्वीर
कैसी
दिखती है
ओ
गूगल
क्या
ढूंढ सकते हो उसे?
दगते
दगते,
पिटते पिटते
समय
के बौछारों में से
छल,कपट और षडयंत्रों में से
अपनी
मुक्ति और सपनों की खातिर
किसी
चमत्कारिक
नायक
की खोज में हैं लोग,
ओ
गूगल
छोड़ो
अब यह व्यर्थ की खोज
इससे
अच्छा तुम बताओ
वैसे
नायक की कर सकते हो खोज!
(अनुवादः
नरेश ज्ञवाली)
1 comment:
रोचक अवलोकनयुक्त कविता।
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