Monday, April 28, 2014

पंख और नाखून उगने लगते हैं मुझ में से


कायापलट

-ताद्यूश रूज़ेविच

मेरा नन्हा बेटा
कमरे में घुसता है और कहता है
“आप एक गिद्ध हैं
मैं एक चूहा”

मैं अलग धर देता हूँ अपनी किताब
पंख और नाखून
उगने लगते हैं मुझ में से

उनकी मनहूस छायाएं
दौड़ती हैं दीवारों पर
मैं एक गिद्ध हूँ
वह एक चूहा है

“आप एक भेड़िया हैं
मैं बकरी”
मैंने एक चक्कर लगाया मेज़ का
मैं एक भेड़िया हूँ
खिड़की के शीशे चमकते हैं
अँधेरे में
ज़हरीले डंकों जैसे

जबकि वह दौड़ जाता है अपनी माँ के पास
महफूज़
माँ की पोशाक की गर्मी में छिपा हुआ उसका सिर

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