Tuesday, May 6, 2014

हिंसा का इतिहास हारे हुए पुरुषों का इतिहास है - फ़रीद ख़ाँ की कवितायेँ - 5


अपमान की परंपरा का इतिहास

हिंसा का इतिहास पुरुषों का इतिहास रहा है. 
उसने धन दौलत, साम्राज्य और औरत के लिए मूर्खता पूर्ण युद्ध किए.  

उसने हार के डर से औरत को घर में बैठाया
फिर जीत की शान में कोठे पर. 

कपडे उतार कर इधर से उधर घुमाया. 
या सिर से पाँव तक परदा ओढाया. 
जो जीना चाहती थी उसे पत्थर से मार मार कर मार दिया. 
फिर भी हार गया.

बिस्तर में कमज़ोर पड़ा पुरुष 
लोहे की छड़ का सामूहिक इस्तेमाल करके विजय प्राप्त कर लेता है. 

हिंसा का इतिहास हारे हुए पुरुषों का इतिहास है. 

हिंसा का इतिहास अपमान की लम्बी परंपरा का इतिहास है.  

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