घोड़ों का
बिल्ली अभिशाप
-वीरेन डंगवाल
घोड़ा एक न बेच
सका मैं फिर भी गया सो
इससे मुझको शाप मिला 'तू जैसा है वह हो'
इससे मुझको शाप मिला 'तू जैसा है वह हो'
'घोड़े
वाले तू अब बिल्ली का धंधा कर ले
बिल्ली के बच्चों से अपना पूरा घर भर ले
बिल्ली के बच्चे तेरे पर्दों पर झूला झूलें
टीवी में घुस जाएँ धूप में बैठ खुशी से फूलें
कभी मारकर चिड़िया तेरे बिस्तर पर धर जाँय
और कभी अलमारी के पीछे टट्टी कर जाँय
कभी रात के सन्नाटे में ऐसा मातम गायें
पित्ता पानी बन जाए सुनने वाले घबड़ाएं.
मचा रहे कोहराम हमेशा तेरे खंजड़ घर में
बिल्ली बैठी रहे रसोई में और तेरे सर में'.
बिल्ली के बच्चों से अपना पूरा घर भर ले
बिल्ली के बच्चे तेरे पर्दों पर झूला झूलें
टीवी में घुस जाएँ धूप में बैठ खुशी से फूलें
कभी मारकर चिड़िया तेरे बिस्तर पर धर जाँय
और कभी अलमारी के पीछे टट्टी कर जाँय
कभी रात के सन्नाटे में ऐसा मातम गायें
पित्ता पानी बन जाए सुनने वाले घबड़ाएं.
मचा रहे कोहराम हमेशा तेरे खंजड़ घर में
बिल्ली बैठी रहे रसोई में और तेरे सर में'.
घोड़ों से
अभिशप्त बिल्लियों से मैं भाग रहा हूँ
सोया-सोया लगता तो हूँ लेकिन जाग रहा हूँ
इसी ताक में हूँ दिख जाए एक अकेली बिल्ली
फिर भी 'दिल्ली' कहकर हरगिज़
कोई तुक न मिलाऊँ
म्याऊँ कभी न बोलूँ.
सोया-सोया लगता तो हूँ लेकिन जाग रहा हूँ
इसी ताक में हूँ दिख जाए एक अकेली बिल्ली
फिर भी 'दिल्ली' कहकर हरगिज़
कोई तुक न मिलाऊँ
म्याऊँ कभी न बोलूँ.
1 comment:
वाह ।
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