क्या
तुम हमको ठगन लिया
(अश्विनी
भिड़े का गायन)
बस
सुनते रहते
डूब
जाते
अपनी
कमियाँ खोजने लग जाते गायक महान
काश
हम स्त्री होते.
करुणा
कैसे आती है संसार में
कैसे
आती है कोमलता और स्थिरता
जब
सब कुछ छिन चुका होता है
सारी
उम्मीदें और सारे इंतज़ार
वह
उन्हें लौटाती है
जैसे
हर पड़ाव पर गठरी उठाती और गठरी छोड़ती
एक
यायावर स्त्री
संगीत
के अणुओं की पारखी
उस
आवाज़ में
कोई
एक बिंदु है जहाँ थिरकते हैं
संगीत
और भौतिकी के नियम
पृथ्वी
के काँपने की आवाज़ आती रहती है वहाँ
एक
स्त्री सुनती है और किसी दुख में
न
किसी क्लेश में
रोते
चली जाती है.
भाभा
से लौटकर
संगीत
की भौतिकी को साधना
उसे
एक आत्मा और एक देह की विकलता में ढाल देना
भीमपलासी
से भूप तक जाना बहुत सारी तानों में और
एक
ज़िद में जैसे जाते थे अमीर ख़ान कहीं नहीं.
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