जर्मनी में जन्मीं सिंथिया क्रूज़ के तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके
हैं – ‘रूइन’, ‘द ग्लिमरिंग रूम’ और ‘वुंडरकेमर’. उनका एक और संग्रह इसी महीन ‘फ़ोर
वे बुक्स’ से आने वाला है. कुछेक महत्वपूर्ण छात्रवृत्तियां और इनामात हासिल कर
चुकी सिंथिया फ़िलहाल सारा लॉरेन्स कॉलेज में पढ़ाती हैं. प्रस्तुत है उनकी नई किताब
से एक कविता –
मृतकों के लिए मार्गनिर्देशिकाएं
-सिंथिया क्रूज़
रहस्यमय
था
प्रस्थान
बिंदु.
मैं महसूस
कर सकी किसी चमकीली चीज़ को
जब वह
छोड़ कर जा रही थी देह को.
क्या-क्या
नहीं निछावर कर सकती हूँ
वापस
जाने के लिए-
वापस
अपने नन्हे, तकरीबन
रूसी
बचपन में:
माँ अपने
कत्थई गाउन और
स्टेज
मेकअप में: शिशु
नीली
दिपदिप करती छाया और उसकी
लम्बी
सुन्दर बाँहें
मुझे
बदलती हुईं ख़ूबसूरत
सुनहरे
बालों वाली अपनी राजकुमारी में.
रात जा
चुकी होती है, जब
घूमते
हैं पहिये.
जीवन भी
जा चुका होता है, दुबारा से.
और नहीं
होगा
कोई जीवन,
सिवाय
मीठे लैवेंडर के, सिवाय
अंकुआते हुए इसके मीठे
सपने के.
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