सेल्फ़ी
या
तो सो कर उठी है वो
या
रो कर
बाल
पीछे कर सबसे पहला काम उसने यही किया है कि
देखूँ
ज़रा ख़ुद को
या
यही दिखाऊँ किसी को बात जिससे होती नही
अपनी
फ़ोटो लेकर मोबाईल पर या कम्प्यूटर के कैमरे से
उसकी
एक आँख में अतीत है तो और दूसरी आँख में है अनिश्चय
यही
होगा शायद
लेकिन
पूरी मुद्रा कुल मिलाकर बनती
ग़ज़ब
है.
एक
आँख में धुँधलापन आ गया है
दूसरी
में है चमक
बस
यही फ़ोटो लेना है
की
ज़िद होगी शायद
होंठ
खुले हैं थोड़ा
कुछ
कहने को या
किसी
बुदबुदाहट में
जो
क्षोभ से आती है या अपनी बात अपने से कहने से
या
वो एक कराह हो सकती है
दिल
से उठती होगी होंठ तक आती हुई लेकिन वापस ख़ुद को समेटती हुई
दाँया
हाथ बालों को थामे रहता है
जैसे
बस बहुत हुआ के अंदाज़ में
ख़ुद
को दिलासा देने के लिए
या
चैलेंज देखा जाएगा जो हो सो हो
ये
अवस्था संगीत सुनने के दरम्यान की भी रहती है
इतना
अद्भुत इतना आत्मा को संबोधित
कि
बस रह जाएँ जस के तस
जैसे
इस फ़ोटो में
चेहरा
जैसे पुकारता हुआ भी
और
जैसे समकालीन अनुभव से विचलित
तीसरी
बात भी हो सकती होगी ज़रूर
लेकिन
चेहरे पर आकर आत्मा सबकुछ तो बता नहीं देती.
माना
तस्वीर किसी और ने ली हो
तो
भी इसमे अक्स हैं कई
अपनी
कामना अपनी दुर्दशा के
लेकिन
कुल मुद्रा एक जीवटता की पुकार है
इसमें
सबसे ज़्यादा नुमायाँ है इंतज़ार.
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