Monday, October 27, 2014

सिर्फ़ रेकॉर्ड के लिए – आज के पढ़े लिखे युवा कारपोरेटियों के लिए एक सबक


ज्यादा पढ़ा नहीं इसलिए बांट दिए 50 करोड़ : सावजीभाई ढोलकिया

दिवाली पर गुजरात के हीरे व्यवसायी सावजीभाई ढोलकिया की दरियादिली की चर्चा पूरे देश में है. हरिकृष्णा एक्सपोर्ट के चेयरमैन सावजीभाई ने अपने १२०० कर्मचारियों को ऐसे गिफ्ट दिए कि लोग दंग रह गए. इन्होंने ५२५ कर्मचारियों को ३.५ लाख रुपए की हीरे की जूलरी दी. उन २०० कर्मचारियों को दो कमरे के फ्लैट मिले हैं जिनके पास घर नहीं थे. इसके साथ ही ४९१ कर्मचारियों को गिफ्ट में कार मिली. कंपनी ने इसे लॉयल्टी बोनस कहा है. सावजीभाई ने कहा कि अब वह हीरे की पॉलिश करने वाले अपने कर्मचारियों को डायमंड इंजिनियर कहा करेंगे. ढोलकिया ने १९९१ में अपने तीन भाइयों के साथ मिलकर एक करोड़ रुपए की रकम से बिजनस की शुरुआत की थी. आज की तारीख में इनका बिजनस ६००० करोड़ रुपए का हो गया है.

मैंने कोई पढ़ाई नहीं की

ढोलकिया ने कहा कि मैंने जीवन में कभी पढ़ाई नहीं की. ऐसे में हम अपने अनुभव से रोज पढ़ाई करते हैं. मैंने चार क्लास तक ही पढ़ाई की. १२ साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी. हम चारों भाई मिलकर डायमंड इंडस्ट्री में आए. मेरा छोटा भाई सबसे ज्यादा पढ़ा है. मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं इसलिए रोज पढ़ता हूं. मैं ज्यादा पढ़ा होता तो ऐसी सोच नहीं होती. उन्होंने कहा कि मैं हार्वर्ड से पढ़कर आता तो शायद इतनी दरियादिली नहीं होती.

इस अरबपति बिजनस मैन की खास बातें

ढोलकिया ने कहा कि मेरे पास कुछ भी नहीं था. मैंने जीरो से शुरुआत की थी. ईश्वर की इनायत है कि मैं इस मुकाम तक पहुंचा. ढोलकिया ने कहा कि हम अपने कर्मचारियों की ईमानदारी और मेहनत के दम पर ही यहां तक पहुंचे हैं. ऐसे में मुनाफा मैं अकेले नहीं पचा सकता. सावजीभाई ने पिछली दिवाली में भी १०० कर्मचारियों को कार तोहफे के रूप में दी थी. उन्होंने कहा कि जो भी मेरे पास है वह कुदरत की देन है. अभी तक मेरा अनुभव है कि देने से कम नहीं होता है. ये तो प्रकृति का नियम है कि एक दाना बोने से १०० दाने का उत्पादन होता है.

आज तक हमने जो दिया है उससे ज्यादा ही मिला है. ढोलकिया ने कहा, 'मैंने विश्लेषण किया कि आखिर १ करोड़ से ६ हजार करोड़ तक पहुंचने में किसका सबसे ज्यादा योगदान है? फिर हमने सोचा कि हमारे १२०० कर्मचारियों की सबसे बड़ी भूमिका है. मैंने ६००० कर्मचारियों में १२०० सबसे मेहनती कर्मचारियों का चुनाव किया. मैंने अपने बेटे को न्यू यॉर्क से एमबीए कराया है. उससे स्टडी कराई कि हमारे बिजनस के फैलाव में किनका सबसे ज्यादा योगदान है.' ढोलकिया ने कहा कि हमने अपने कर्मचारियों को बहुत नहीं दिया है. जो भी दिया है वह थोड़ा है. इनकी मेहनत के आगे कुछ भी नहीं है. मेरा मानना है कि इससे मेरे और कर्मचारी प्रेरणा लें.

ढोलकिया ने कहा, 'मैंने तोहफे देने में ५० करोड़ खर्च किए. मैंने सोचा था कि सबको गाड़ी दूं. बाद में पता चला कि २०० लोगों के पास घर नहीं है इसके बाद योजना में बदलाव किया गया. जिसके पास घर भी था और गाड़ी भी उसकी पत्नी को जूलरी दी गई. ४५१ लोगों को कारें दीं. मेरा मानना है कि इससे दूसरी कंपनियों को भी प्रेरणा मिलेगी. मैंने अपने कर्मचारियों के लिए क्रिकेट, वॉलिबॉल, टेनिस कोर्ट, स्विमिंग पूल और जिम की भी व्यवस्था की है.'

मेरे कर्मचारी पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन वे किसी कुशल इंजिनियर से कम नहीं हैं. इंडिया में इंजिनियर की जितनी सैलरी नहीं है उससे कई गुना ज्यादा मैं सैलरी देता हूं. मेरे १२०० कर्मचारियों ने १० करोड़ का टीडीएस भरा है. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उनकी सैलरी कितनी होगी. मैं सोशल बिजनस कर रहा हूं. मेरे कर्मचारी देश के २१ राज्यों से हैं. ये ३६१ गांव से ताल्कुकात रखते हैं. इन सभी के माता-पिता को मैं जानता हूं. अपने कर्मचारियों के माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराता हूं. मेरा बिजनस करने का तरीका यही है. मैं बिजनस में सोशल जिम्मेदारी उठाता हूं. मेरा मानना है कि पैसा देने से लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. ढोलकिया ने कहा कि मैं पहले देता हूं तब लेता हूं.


(साभार- नवभारत टाइम्स)

No comments: