१९५७ में लात्विया के रिगा में
जन्मीं डेस लीला ने १९८० के बाद से प्रदर्शनियों में हिस्सा लेना शुरू किया था.
डेस लीला कहती हैं - “मैं प्रकृति
को देखे और सराहे बिना नहीं रह सकती. वह हमेशा इतनी सच्ची और आकर्षक होती है. इस
धड़कती और कभी कभी शांत प्रकृति में प्रकाश, भावनाएं, संवेदनाएं और मनुष्य – यही
मेरे चित्रों की विषयवस्तु होते हैं.”
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