Saturday, January 10, 2015

कैसी-कैसी क्रिकेट कमेंट्री - 9 - रेक्स एल्स्टन


दो साल के भीतर उन्होंने माइक्रोफोन को साध लिया था. १९५० में जब वेस्ट इंडीज़ ने लॉर्ड्स में इंग्लैण्ड को पहली बार हराया था, खुशी मनाते दर्शकों की हालत को एल्स्टन के इस तरह बयान किया: “ वन ऑर टू वेस्ट इन्डियन क्रिकेटर्स कमिंग आउट ऑन द फील्ड, वेविंग देयर हैट्स ... गोडार्ड रनिंग इन ... बेंग चेज्ड हैरेम स्कैरेम बाई लॉट्स ऑफ़ वेस्ट इन्डियन सपोर्टर्स. सच अ साईट नेवर बिफ़ोर सीन एट लॉर्ड्स ...”
१९४८ में बारिश के साथ अपने बुरे अनुभवों के कारण कुछ सालों में एल्स्टन ने पुराने टेस्ट मैचेज़ की यादों पर आधारित प्रोग्राम बनाना शुरू कर दिया. बारिश की वजह से पड़ने वाले व्यवधानों के दौरान वे इनका इस्तेमाल किया करते जिनमें आर्काव्ड सामग्री का भरपूर इस्तेमाल होता था. सेमूर दे लॉत्बीनियरे के साथ मिलकर उन्होंने क्रिकेट टॉक्स की नींव डाली जो बाद में टेस्ट मैच स्पेशल के नाम से बीबीसी की खासियत बन गयी.
इंग्लिश जीवन की इस शानदार परम्परा यानी टेस्ट मैच स्पेशल की जब १९५७ में शुरुआत हुई तो बॉक्स में एल्स्टन के साथ आर्लट, स्वानटन और केन आब्लैक मौजूद थे.   
आर्लट और ब्रायन जॉनस्टन की सनकों को साधने का काम एल्स्टन बखूबी कर लेते थे. ये अलग बात है कि उनकी अपनी शैली भी ख़ासी विशिष्ट थी जिसे पीटर बैक्सटर ने “जोशीली और थोडा बहुत स्कूली मास्टरों वाली” बतलाया था.
अब शैली चाहे कैसी भी हो उस समय के कमेंटेटरों के लिए ब्रायन जॉनस्टन की विख्यात हो चुकी शरारतों से बच पाना नामुमकिन था.
शुरुआती शरारत अलबत्ता जानबूझकर नहीं की गयी थी. उन दिनों जब काउंटी क्रिकेट अपने उरूज पर था, खेलने का समय एजबेस्टन में बाकी इंग्लैण्ड से हमेशा थोडा पीछे चला करता. सो एक मौका ऐसा आया कि जॉनस्टन लॉर्ड्स में कमेंट्री समाप्त कर रहे थे जबकि एजबेस्टन में वारविकशायर का खेल एल्स्टन कर रहे थे जहां खील जारी था. कमेंट्री आगे बढाते हुए जॉनस्टन बोले: “... सो ओवर देयर फॉर सम मोर बॉल्स फ्रॉम रेक्स एल्स्टन.” बस उस दिन के बाद से जॉनस्टन ने अपने साथी को एल्स्टन कभी नहीं बोला – वे हमेशा बॉलस्टन के नाम से पुकारे जाते रहे.
अब आया १९६२ का पाकिस्तानी दौरा. इस बार जॉनस्टन का मज़ाक ऐसे ही नहीं हो गया. पाकिस्तानी टीम में एक खिलाड़ी थे – आफाक़ हुसैन. आप जानते ही हैं अँगरेज़ लोग हम महाद्वीपवासियों के नामों का उच्चारण कैसे करते हैं! सो इस नाम को लेने में एल्स्टन को भयानक दिक्कत होती थी. इस खिलाड़ी का पहला नाम ‘Duck’ से राइम करता था (और फ़क से भी!)  
एल्स्टन मेहमानों और एम सी सी के बीच के मैच को कवर कर रहे थे, जब ब्रायन जॉनस्टन कमेंट्री बॉक्स में आकर बोले, “आई से बॉलस्टन, दिस चैप अ’फ़क इज़ अ बिट ऑफ़ अ प्रोब्लम. लेट्स होप ही डज़न्ट गेट इनटू द टेस्ट टीम.”
एल्स्टन ने अपने कानों पर हाथ धरते हुए कहा, “वो नाम मत लो भाई, मैं उसे दिमाग़ में भी नहीं लाना चाहता.” जॉनस्टन के लिए इतना पर्याप्त था. वे बॉक्स से बाहर जाते हुए जैसे इस नाम को रटने लगे “अ’फ़क, अ’फ़क, अ’फ़क, अ’फ़क ...” नुकसान किया जा चुका था. एसेक्स के आलराउंडर बैरी नाईट अगला ओवर खेलने की तैयारी कर रहे , एल्स्टन ने लाइव कमेंट्री करते हुए कहा: “देयर्स अ चेंज इन द बोलिंग एंड वी आर गोइंग टू सी अ’फ़क टू नाईट फ्रॉम द पैविलियन एंड – मैं कह क्या रहा हूँ, वो तो खेल भी नहीं रहा है.”
एल्स्टन के चमचमाते करियर में यह संभवतः इकलौता धब्बा था.
कुछेक और भी मजाकिया वाक्य उनके मुंह से जब-तब निकले थे जैसे कि “ओवर नाऊ टू ओल्ड जॉन आर्लट एट ट्रेफोर्ड,” और “नो रन्स फ्रॉम दैट ओवर बोल्ड बाय जैक यंग, व्हिच मीन्स दैट ही हैज़ नाऊ हैड फ़ॉर मेडन्स ऑन द ट्रॉट.” खेल पर ध्यान देने की उनकी आदत इतनी पुख्ता थी कि कमेंट्री करते वक़्त वे अपने दोनों हाथ कानों पर धर लिया करते थे जिससे उनकी दृष्टि किसी सुरंग जैसी बन जाया करती. एक दफा उन्होंने जिम स्वान्टन की तरफ एक सवाल उछाला. सवाल करते ही उन्हें अहसास हुआ कि उनके साथी कमेंटेटर महोदय टॉयलेट गए हुए हैं. एक और अविस्मरणीय घटना में उनके साथ आर्थर गिलीगन एक्सपर्ट के बतौर मौजूद थे. उन्होंने गिलिगन से पूछा “क्या कहते हो आर्थर?” एल्स्टन ने मुड़कर देखा तो इंग्लैण्ड के पूर्व कप्तान गहरी नींद में सोये हुए थे. एल्स्टन ने गिलीगन की पसलियों में उंगली चुभाई तो गिलीगन ने पुरूस्कार जैसा देते हुए कहा “तुमने अभी अभी जो कुछ कहा उस सब से में पूरी तरह सहमत हूँ रेक्स.” और उन्होंने छाती पर गर्दन ढुलका कर बाकायदा खर्राटे लेने शुरू कर दिए.

(जारी)    

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