Saturday, January 10, 2015

और तुम्हें देखकर खौफ़ लगता है, मेरे भाई


धरती पर सबसे विचित्र जानवर

-नाज़िम हिकमत

तुम एक बिच्छू जैसे हो, मेरे भाई,
ज़िन्दा रहते हो कायर अँधेरे में
एक बिच्छू की तरह.

तुम एक गौरैया जैसे हो, मेरे भाई,
रहते हो हमेशा एक गौरैया की फड़फड़ाहट में.
तुम एक सीपी जैसे हो, मेरे भाई,
एक सीपी की तरह बंद, संतुष्ट,
और तुम्हें देखकर खौफ़ लगता है, मेरे भाई,
जैसे लगता है किसी मरे ज्वालामुखी के मुहाने से.

एक नहीं,
पांच नहीं -
बदकिस्मती से लाखों हो तुम.

तुम भेड़ जैसे हो, मेरे भाई:
                             लबादा पहने चरवाहा जैसे ही उठाता है अपनी छड़ी,
                             तुम जल्दी से हिस्सा बन जाते हो झुण्ड का
और, लगभग गर्व के साथ, भागना शुरू कर देते हो कसाईघर की तरफ़.

मेरा मतलब है, धरती पर सबसे विचित्र जानवर हो तुम–
मछली से भी अधिक विचित्र
जो पानी के लिए समुद्र तक को नहीं देख पाती.

और इस दुनिया के अत्याचार
-वे हैं तुम्हारी वजह से.

और अगर हम भूखे, थके और खून में लिथड़े हुए हैं,
और अब भी कुचले जा रहे हैं अपनी शराब के लिए अंगूरों जैसे
-तुम्हारी वजह से है ऐसा.

मुझे कहना नहीं आ रहा,

लेकिन सबसे ज़्यादा ग़लती तुम्हारी है, मेरे प्यारे भाई.  

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