Thursday, January 15, 2015

कभी नहीं हुई थी मेरे पिता की मृत्यु.


बारिश

-होर्हे लुई बोर्हेस 

आख़िरकार उजली हो गई दोपहर
क्योंकि बारिश गिर रही है, औचक और बारीक.
गिर रही है या गिर चुकी. इसमें कोई विवाद नहीं
कि बारिश एक ऐसी चीज़ है जो अतीत में घटती है.

इसे गिरता हुआ सुनने वाला लौटा लाता है एक समय जो खो गया था
जब एक विकट हवा उसके सामने खोलने ही को थी
एक फूल को जिसका नाम ग़ुलाब
और उसके लाल रंग के पेचीदा लालपन को

गिरती हुई जब तक कि खिड़की के हर एक शीशे को अन्धा न बना दे
एक भटके हुए उपनगर में यह बारिश
भीतर एक लता पर जीवन भर देगी काले अंगूरों में

एक आंगन था अब नहीं है.
बारिश की झड़ी से गुज़रकर आती बहुप्रतीक्षित एक आवाज़
मेरे पिता की है. कभी नहीं हुई थी उनकी मृत्यु.

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