दीमे चरसी की बकवास
- वुसतुल्लाह ख़ान
दीमे
(नदीम) के चार मुख्य शौक़ हैं. हर पांच छह महीने बाद अब्बा की छोड़ी हुई ज़मीन का
एक एकड़ बेच देना,
अख़बार चाटना, चरस पीना और नॉन स्टॉप बकवास
करते करते दोस्तों के सामने ही सो जाना.
दीमे के
अलावा सारे दोस्त इस बात पर सहमत हैं कि उसकी महफ़िल में लोहे के कान फ़िट किए
बिना बैठना मुश्किल है. दीमे समसामायिक घटनाओं पर एकतरफ़ा बहस का बादशाह है, ख़ुद ही सवाल करता है ख़ुद ही जवाब देता है. और दोस्त सिर्फ़ वाह जी वाह
जी करने पर लगे रहते हैं.
और
अब दीमे की बकवास ...
"यार ये अपना रहमान मलिक चमड़े की पेटी पर उस्तरा तेज़ करने से कब बाज़
आएगा. कहता है बलूचिस्तान वाले प्यार की भाषा नहीं समझेंगे तो हम उन्हें डंडे से
समझाएंगे. कोई मुझे बताए कि बलूचों के सर से डंडा हटा कब था.
रहमान मलिक
क्या समझता है कि डंडे पर बलूचिस्तान के हित का तेल मल लेने से चोट कम लगती है.
पांच हज़ार नौकरियों की हड्डी देख कर क्या बलूची नाचना शुरू कर देंगे.
ओ याद आया
कल ईद थी. पर इस बार पता नही चला कि दो नंबर ईद किसकी थी. पेशावर वालों की या
इस्लामाबाद वालों की.
लगता है
दोनों में से किसी एक ज़रूर चीन का चाँद ख़रीदा हुआ है.
मगर ये ईद
भी सादगी से मनानी पड़ी. कभी किसी ने सुना है कि दीपावली सादगी से मनाई गई.
क्रिस्मस सादगी से मनाया गया. नौरोज़ पर नए कपड़े नहीं पहने गए.
मैंने तो
जब भी सुना है यही सुना है कि ज़लज़ला आ गया है ईद सादगी से मनाएं. सैलाब आ गया है
ईद सादगी से मनाएं. जंग हो गई है ईद सादगी से मनाएं. फ़लस्तीनियों पर ज़ुल्म हो
रहा है ईद सादगी से मनाएं. कश्मीरियों के साथ सदभावना में ईद सादगी से मनाएं.
भुट्टो को
फांसी हो गई है ईद सादगी से मनाएं. बेनज़ीर क़त्ल हो गई है सादगी अपनाएं. आत्मघाती
हमलों में हज़ारों लोग मर गए हैं सादगी को मत भूलें. क्रिकेट टीम ने रुस्वा किया
है सादगी को याद रखें
ईद की
ख़रीदारी में सादगी अपनाएं. सादा मेंहदी लगाएं. सादा ज़ेवर पहनें, सादा मेक-अप करें, सादा घड़ी और जूते ख़रीदें. सादा
उपहार दें, सादा ज़रदा-पुलाव और शीरमाल उड़ाएं, सादी सिग्रेट पीएं....
यार वो दिन
कब आएगा जब हम ईद सादगी से नहीं मनाएंगे. कब आएगा वो दिन. मुझे तो नहीं लगता है कि
आएगा. तुम्हें लगता है क्या. मुझे नहीं लगता कि तुम्हें भी लगता है.
मुझे तो
लगता है कि किसी को नहीं लगता. बताओ ना लगता है किसी को."
ये तकरार
करते करते वहीं सोफ़े पर दीमे सो गया. मैंने अध-जली सिग्रेट उसके उंगलियों से अलग
कर ऐश-ट्रे में बुझा दी. लाइट ऑफ़ कर दी. कमरा धीरे धीरे ख़ाली होने लगा. कल फिर
यही दरबार होगा. यही दीमा और वही उसकी बकवास...
(http://www.bbc.co.uk/ से साभार)
1 comment:
उफ़ दीमा
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