Friday, February 27, 2015
बहुत काइयां होते हैं बूढ़े कवि
इम्तहान
-प्रशांत चक्रबर्ती
बहुत काइयां होते हैं बूढ़े कवि
वे इम्तहान लेते हैं कितनी लोच
है
आप में
क्या आप तैयार हैं पवित्रता की भूमि में प्रवेश करने को?
कीच ऊबड़खाबड़ बेपरवाही की?
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