Friday, February 27, 2015

जैज़ पर नीलाभ - 17

"जैज़ का इतिहास चार शब्दों में बताया जा सकता है - 
लुई आर्मस्ट्रॉन्ग चार्ली पार्कर."
- माइल्स डेविस 


तीस का दशक अगर प्रसार के लिहाज़ से जैज़ संगीत का सुनहरा काल था तो चालीस का दशक एक बिलकुल ही अलग ढंग से जैज़ के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ. पहली बार संगीतकारों के रवैये में एक तब्दीली आयी और उन्होंने अपने संगीत को केवल मनोरंजन से नहीं, बल्कि कला के प्रतिमानों से जोड़ कर देखना शुरू किया. 

जहाँ तक दूसरों पर असर डालने का सम्बन्ध है इसमें कोई शक नहीं कि लुई आर्मस्ट्रॉन्ग जैज़ संगीत के पहले महान कलाकार के रूप में सामने आते हैं, लेकिन उनकी निगाह हमेशा अपने श्रोताओं की ओर केन्द्रित रही. यही नहीं, बल्कि तीस के दशक से पहले जैज़ का जो बुनियादी ढाँचा तैयार हुआ था, उसमें उन्होंने बहुत कम परिवर्तन किया. यही वजह है कि लुई आर्मस्ट्रॉन्ग के साये में जैज़ संगीत उत्तरोत्तर मनोरंजन प्रधान होता गया था. न्यू और्लीन्स का प्रारम्भिक जैज़ खुली फ़िज़ा का संगीत था, उस शहर के बाशिन्दों का संगीत था और इस तरह पूरे समाज का अंग था. लुई आर्मस्ट्रॉन्ग ने अपनी विलक्षण प्रतिभा के बल पर इस संगीत को जन-सामान्य के दायरे से उठा कर संगीत की शोभा-यात्रा का सिरमौर बना दिया, ‘शोबिज़का अंग बना दिया. 

चार्ली पार्कर

मगर दूसरी ओर ऐसे बहुत-से उभरते हुए संगीतकार थे, जो इस चकाचौंध-भरी व्यावसायिकता के ख़िलाफ़ थे, जो महसूस करते थे कि अगर जैज़-संगीत को सचमुच अपना सही रूप माना है तो उसे जन-रुचि और आत्माभिव्यक्ति के बीच सन्तुलन बनाये रख कर, तल्लीनता और द्वन्द्व के आपसी रिश्तों को पुष्ट करते चलना होगा. और चाहे प्रयोग और आशु रचना जिस भी सीमा तक की जाये जैज़ को अपनी जड़ों को विस्मृत नहीं करना है जो एक पूरी जाति के सुख-दुख, हर्ष-विषाद, संघर्ष  और आशा-आकांक्षा में गहरे उतरी हुई हैं. और इस धारा के सबसे बड़े प्रवक्ता थे - चार्ली पार्कर, जिन्होंने अपने तईं जैज़ को एक बिल्कुल नयी दिशा में मोड़ दिया. सुनिये उन पर लिखा ऐन्टनी प्रोवो का गीत :




(यार्डबर्ड स्वीट - चार्ली पार्कर - शब्दों के साथ)

चार्ली पार्कर (1920-55) कैन्सस सिटी में पैदा हुए थे और ग्यारह साल की उमर ही से सैक्सोफ़ोन बजाने लगे थे. चौदह का होने पर वे अपने स्कूल के बैण्ड में शामिल हो गये, ताकि उन्हें अभ्यास और प्रदर्शन के लिए स्कूल का वाद्य उपलब्ध हो सके. अपने जीवन के शुरू ही में उन्हें "यार्डबर्ड" (आंगन पाखी) या सिर्फ़ "बर्ड" के नाम से बुलाया जाने लगा और यह नाम ज़िन्दगी भर उनके बुलाने वाला नाम रहा उनकी बहुत-सी रचनाओं की प्रेरणा भी रहा जैसे "यार्डबर्ड सुईट" -

http://youtu.be/HmroWIcCNUI  (यार्डबर्ड स्वीट - चार्ली पार्कर )

कैन्सस सिटी में रहते हुए ही पार्कर ने सैक्सोफ़ोन वादक बनने का फ़ैसला कर लिया था और  यही वह समय था जब संगीत को गम्भीरता से लेते हुए पार्कर ने जम कर अभ्यास करना शुरू किया. अर्से बाद एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि तकरीबन 3-4 बरस का समय उन्होंने 15-15 घण्टे रोज़ाना अभ्यास किया था. इसी अर्से में काऊण्ट बेसी और बेनी मूटॉन के बैण्डों ने उन पर गहरा असर डाला और इसी दौरान अपने शहर के स्थानीय मण्डलियों में सैक्सोफ़ोन बजाते हुए उन्होंने आशु रचना की बारीक़ियां भी सीखीं. 1938 में पार्कर ने जे मक्शैन की मण्डली में हिस्सा लेते हुए बाहर के शहरों के दौरे भी किये जो उन्हें शिकागो और न्यूयॉर्क तक ले गये. 


http://youtu.be/_KaNwqdlz50 (औटम इन न्यूयॉर्क - चार्ली पार्कर ) 

1939 में चार्ली पार्कर न्यूयॉर्क आ गये और यह शहर उन्हें इतना भाया कि उन्होंने इसे ही अपना घर बना लिया. इससे कुछ समय पहले एक दुर्घटना में घायल हो जाने पर इलाज के दौरान चार्ली पार्कर को हस्पताल ही में मौर्फ़ीन की लत लग गयी जो आगे चल कर हेरोइन की लत में बदल गयी. जैज़ के परिवेश और परिदृश्य में गांजा, अफ़ीम, कोकीन और हेरोइन का नशा आम था और यह लत दूर होने के बजाय जड़ पकड़ती चली गयी. 

न्यूयॉर्क में कुछ समय बाद पार्कर ने अर्ल हाइन्स की मण्डली में भी सैक्सोफ़ोन बजाया जहां उनकी मुलाक़ात डिज़ी गिलेस्पी से हुई जिनके साथ वे मिल कर बहुत-से अवसरों पर कार्यक्रम देने वाले थे. लेकिन सिर्फ़ डिज़ी गिलेस्पी ही नहीं, चार्ली पार्कर के परिचय के दायरे में ऐसे बहुत-से बुतशिकन आने वाले थे जो जैज़ में नयी राहें खोज रहे थे, मसलन, माइल्ज़ डेविस, थेलोनिअस मंक, मैक्स रोच, चार्ल्स मिंगस. ये सभी प्रतिभाशाली संगीतकार अब जैज़ को केवल मनोरंजन के दायरे से उठा कर एक कला-रूप बनाने पर कमर कसे बैठे थे. 

  

(ब्लूमडीडू - पार्कर, गिलेस्पी, थेलोनिअस मंक) 

पार्कर का इनकी तरफ़ आकर्षित होना एक ही बालो-पर के अन्दीलबों के इकट्ठा होने जैसा था. एक दिन वे गिटारवादक विलियम फ़्लीट के साथ किसी सभा में बजा रहे थे जब अचानक उन्हें यह सूझा कि जैज़ की क्रोमैटिक सरगम  के बारह सुरों से किसी भी "की" में नियमपूर्वक जाया जा सकता है, जिससे जैज़ के एकलवादन की बहुत-सी पाबन्दियां तोड़ी जा सकती हैं.  

चार्ली पार्कर और माइल्स देविस, १९४७

लेकिन इन सभी नये पैग़म्बरों के संगीत को शुरू-शुरू में काफ़ी विरोध का सामना पड़ा. इसके अलावा, दुर्भाग्य से उन दिनों संगीतकारों के संघ ने व्यावसायिक रेकॉर्डिंग पर पाबन्दी लगायी हुई थे, इसलिए ढेरों अवसर बिना रिकौर्ड किये ही गुज़र गये. लेकिन पाबन्दी उठने के बाद साल भर बाद 1945 में दो ऐसे मौक़े आये जब इन सभी साथियों के साथ पार्कर ने अपनी कला का सिक्का जमा दिया. पहला मौका जून के महीने में डिज़ी गिलेस्पी, मैक्स रोच और बड पावेल की संगत में न्यूयॉर्क के टाउन हॉल की एक संगीत सभा में बजाने का था और दूसरा अवसर सवौये की एक रेकॉर्डिंग सभा का था जिसमें सभी नये संगीतकार चार्ली पार्कर के नेतृत्व में इकट्ठा थे - डिज़ी गिलेस्पी, माइल्ज़ डेविस, मैक्स रोच और कर्ली रसेल - और इस रेकॉर्डिंग के कई टुकड़े आज ऐतिहासिक माने जाते हैं, जैसे को-को, बिलीज़ बाउन्स और नाओज़ द टाइम - 

 

(बिलीज़ बाउन्स - चार्ली पार्कर) 

अगले दस साल चार्ली पार्कर की ज़िन्दगी के सुनहरे साल कहे जा सकते हैं हालांकि हेरोइन की लत ने उन्हें परेशान करना नहीं छोडा था. एक बार तो वे हस्पताल में छै महीने काट कर पूरी तरह "साफ़" हो आये थे और इसी समय उन्होंने "रिलैक्सिन ऐट द कैमारिलो" के नाम से एक गत कैमारिलो हस्पताल को खिराज देते हुए पेश की -



(रिलैक्सिन ऐट द कैमारिलो - चार्ली पार्कर)

लेकिन न्यूयॉर्क आने पर हेरोइन ने फिर पार्कर को अपनी चंगुल में जकड़ लिया. तो भी वे लगातार सैक्सोफ़ोन बजाते रहे और उन्होंने दर्जनों नयी धुनें रिकौर्ड कीं. अब तक यह नयी शैली लोकप्रिय हो चुकी थी और लोगों ने इसे बीबौप कहना शुरू कर दिया था. अपने साथियों - थेलोनिअस मंक और चार्लस मिंगस - की तरह चार्ली पार्कर भी संगीत की बुनियाद में दिलचस्पी रखते थे, इसलिए उनकी बहुत इच्छा थी कि वे पश्चिमी शस्त्रीय संगीत के वाद्य वृन्द यानी और्केस्ट्रा के साथ जैज़ को मिला कर बजायें और नये प्रयोग करें. वे शास्त्रीय संगीत में अच्छा-ख़ासा दखल रखते थे और जब 1949 में जब उन्हें जैज़ वादकों और शास्त्रीय संगीतकारों की एक मिली-जुली मण्डली के साथ सैक्सोफ़ोन बजाने का मौका मिला तो उन्हों ने कुछ शानदार धुनें रिकौर्ड कीं जैसे, "जस्ट फ़्रेण्ड्स," "एवरीथिंग हैपन्स टू मी," "एप्रिल इन पैरिस," "समरटाइम," और "इफ़ आई शुड लूज़ यू."



(एप्रिल इन पैरिस - चार्ली पार्कर)

जीवन के अन्त तक चार्ली पार्कर प्रयोग करते ही रहे, कभी संगीत की अदायगी को ले कर और कभी अपने वाद्य को ले कर जिसके अनेक नमूनों को उन्होंने आज़माया और सुनने वालों को अपनी महारत से चकित किया. उनके वादन की शैली अनोखी थी और उन्होंने जैज़ के हर पहलू पर अपनी प्रतिभा से अमिट छाप छोड़ी. 1955 में जब वे दिवंगत हुए तो अपने महज़ पैंतीस बरस के जीवन के पीछे न सिर्फ़ अनगिनत चाहने वालों का समुदाय छोड़ गये, बल्कि अपने प्रशंसक साथियों को भी. चार्ली पार्कर के साथ अनेक बार संगत कर चुके प्रख्यात सैक्सोफ़ोन वादक माइल्स डेविस ने उनके निधन पर शायद उन्हें सबसे बड़ी श्रद्धांजलि यह कह कर दी,"जैज़ का इतिहास चार शब्दों में बताया जा सकता है - लुई आर्मस्ट्रॉन्ग चार्ली पार्कर."



(चार्ली पार्कर - श्रेष्ठ चयन 1)



(चार्ली पार्कर - श्रेष्ठ चयन 2)


(जारी)

No comments: