पूज्य पिता जी,
नमस्ते.
मेरी जिन्दगी मकसदे आला
यानी आज़ादी-ए-हिन्द के असूल के लिए वक्फ हो चुकी है. इसलिए मेरी जिन्दगी में आराम
और दुनियावी खाहशात बायसे कशिश नहीं हैं.
आपको याद होगा कि जब
मैं छोटा था, तो
बापू जी ने मेरे यज्ञोपवीत के वक्त ऐलान किया था कि मुझे खिदमते वतन के लिए वक्फ
कर दिया गया है. लिहाजा मैं उस वक्त की प्रतिज्ञा पूरी कर रहा हूँ.
उम्मीद है आप मुझे माफ
फरमाएँगे.
आपका ताबेदार,
भगतसिंह
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