द रीपर : आफ्टर मिले. रचना: १८८९-९०, सां रेमी |
दुनिया
में काम करने के लिए आदमी को अपने ही भीतर मरना पड़ता है. आदमी इस दुनिया में सिर्फ़
ख़ुश होने नहीं आया है. वह ऐसे ही ईमानदार बनने को भी नहीं आया है. वह पूरी मानवता
के लिए महान चीज़ें बनाने के लिए आया है. वह उदारता प्राप्त करने को आया है. वह उस
बेहूदगी को पार करने आया है जिस में ज़्यादातर लोगों का अस्तित्व घिसटता रहता है.
- (विन्सेन्ट वान गॉग की जीवनी 'लस्ट फ़ॉर लाइफ़'से)
- (विन्सेन्ट वान गॉग की जीवनी 'लस्ट फ़ॉर लाइफ़'से)
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