गालेआनो का गद्य - 5
अनुवादः शिवप्रसाद जोशी
एदुआर्दो गालेआनो लातिन अमेरिका की ऐतिहासिक और समकालीन यातना को दुनिया के सामने लाने वाले लेखक पत्रकार हैं. वे जितना अपने पीड़ित भूगोल के दबेकुचले इतिहास के मार्मिक टीकाकार हैं उतना ही भूमंडलीय सत्ता सरंचनाओं और पूंजीवादी अतिशयताओं के प्रखर विरोधी भी. उनका लेखन और एक्टिविज़्म घुलामिला रहा है. इसी साल 13 अप्रेल को 74 साल की उम्र में कैंसर से उनका निधन हो गया.
प्रस्तुत गद्यांश एडुआर्दो गालेआनो की किताब, मानवता का इतिहास, मिरर्स (नेशन बुक्स) से लिया गया है. हिंदी में इसका रूपांतर गुएर्निका मैगज़ीन डॉट कॉम से साभार लिया गया है. अंग्रेज़ी में इनका अनुवाद मार्क फ़्राइड ने किया है.
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5.
दीवार
बर्लिन
दीवार हर रोज़ ख़बर बनती थी. सुबह से रात हम पढ़ते थे, देखते थे, सुनते थेः शर्म
की दीवार, बदनामी की दीवर, लौह पर्दा...
आख़िरकार,
एक दीवार जो गिरने के ही क़ाबिल थी. लेकिन अन्य दीवारें उग आईं और दुनिया भर में
उनका उगना जारी है. हालांकि वे बर्लिन की दीवार से कहीं बड़ी है, फिर भी उनके बारे
में हम बहुत कम सुनते हैं.
आख़िर
क्यों कुछ दीवारें इतना शोर मचाती हैं और कुछ क्यों इतनी ख़ामोश होती हैं?
बहुत
कम उस दीवार के बारे में कहा जाता है जो अमेरिका, मेक्सिको की सीमा के पास बना रहा
है, और उससे भी कम उस कंटीली दीवार के बारे में सुनते हैं जो अफ़्रीकी तट पर स्पेन
के एनक्लेवोः स्युटा और मेलिला को घेर कर बनाई जा रही है.
व्यवहारिक
तौर पर पश्चिमी तट की दीवार के बारे में कुछ नहीं कहा जाता है, जो फ़लिस्तीनी
ज़मीनों पर इस्राएली क़ब्ज़ों को क़ायम रखे हुए है और बर्लिन दीवार से जो 15 गुना
लंबी होगी. और उस दीवार के बारे में कुछ नहीं, कुछ भी नहीं कहा जाता जो मोरक्को की
दीवार है, जो मोरक्को साम्राज्य का सहारा होमलैंड पर क़ब्ज़ा दिखाती है, और बर्लिन
की दीवार से 60 गुना लंबी है.
आख़िरकार
क्यों कुछ दीवारें इतनी ऊंची और अन्य इतनी बौनी रह जाती हैं?
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