Saturday, December 12, 2015

ग़ालिब के एक सौ बासठ रुपये और फ़ाकामस्ती


ज़िया मोहिउद्दीन साहब सुनाते हैं चचा ग़ालिब के दो मज़ेदार ख़त -

No comments: